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    क्‍या आशीर्वाद का प्रभाव निश्चित रूप से पड़ता है

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Thu, 27 Oct 2016 11:03 AM (IST)

    इसलिए प्रणाम की पात्रता और आशीर्वाद का प्रभाव इस पर निर्भर करता है कि क्या आप पात्र में आशीर्वाद रखने के लिए तैयार हैं?

    क्‍या आशीर्वाद का प्रभाव निश्चित रूप से पड़ता है

    आशीर्वाद एक ऐसा शब्द है, जिसका प्रभाव जीवन को पूरी तरह परिवर्तित कर देता है। इसलिए अपने से बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए। आशीर्वाद का चार अक्षर प्रतीक रूप में विभिन्न प्रकार के अर्थ प्रकट करता है। चूंकि प्रणाम किसी कामना की प्रेरणा से ही प्रेरित होता है। इसलिए प्रणाम करते समय गुरु को यह जानकारी नहीं होती कि शिष्य चाहता क्या है? शिष्य यदि युद्धभूमि में जाता है तो गुरु विजयी भव का आशीर्वाद देते हैं।
    गांवों में आज भी जियो, खुश रहो जैसे शब्द आशीर्वाद के रूप में कहे जाते हैं, लेकिन आमतौर पर जब हम बड़ों के पास जाते हैं तो कामना बताए बगैर हम उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं। इसी को देखते हुए एक ऐसा शब्द खोजा गया जिसमें कई अर्थ समाहित हों। इस प्रकार आशीर्वाद के एक-एक अक्षर के लिए एक-एक शब्द अर्थात चार अक्षर के लिए चार शब्द बनाए गए। ये चार अक्षर हैं- आयु, विद्या, बल और बुद्धि। जिस शुभकामना से आयु, बल, विद्या व बुद्धि बढ़े वही आशीर्वाद है। प्रत्येक व्यक्ति के मन में इन चारों की बढ़ोतरी की कामना होती है। यदि शिष्य श्रद्धापूर्वक गुरु को प्रणाम करता है और गुरु स्नेहपूर्वक शिष्य के मंगलमय भविष्य की कामना करते हैं तो आशीर्वाद का प्रभाव निश्चित रूप से पड़ता है। आपके मन में जितना अधिक आदर होगा आपको आशीर्वाद उतना ही मिलेगा।
    जिन लोगों को बार-बार आशीर्वाद मिलने पर भी कोई फल नहीं मिलता, इसका अर्थ है कि उन्होंने न तो श्रद्धापूर्वक प्रणाम किया और न ही श्रद्धापूर्वक आशीर्वाद ही लिया। आशीर्वाद जीवन में तभी उतर सकेगा, जब आप आशीर्वाद के प्रभाव को धारण करेंगे। जिस वस्तु को आप स्वयं ग्रहण नहीं करना चाहते, उसका प्रभाव आपके जीवन पर कैसे पड़ेगा? प्रणाम हमेशा दोनों हाथ जोड़कर किया जाता है और गुरु का आशीर्वाद तभी प्राप्त होता है जब सच्चे मन से प्रणाम किया जाता है। यदि पात्र उल्टा हो या किसी वस्तु को ग्रहण करने से इंकार करता हो, तो उसमें कोई भी वस्तु नहीं रखी जा सकती। इसलिए जो व्यक्ति अपने पात्र को बारीकी से सजाकर रखता है, उसमें उसी बारीकी से वस्तु भी रखी जाती है। कोई आशीर्वाद दे और आप उसे लेने के लिए तैयार न हों तो आशीर्वाद का कोई अर्थ नहीं है। इसलिए प्रणाम की पात्रता और आशीर्वाद का प्रभाव इस पर निर्भर करता है कि क्या आप पात्र में आशीर्वाद रखने के लिए तैयार हैं?

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