आज है विजयादशमी, इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है
भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है,शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा जाता है। दशहरा या विजयदशमी या आयुध-पूजा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। आज आश्विन शुक्ल दशमी को विजयदशमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा

भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा जाता है। दशहरा या विजयदशमी या आयुध-पूजा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। आज आश्विन शुक्ल दशमी को विजयदशमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं,शस्त्र-पूजा की जाती है।
प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों को छोड़ने की प्रेरणा हमें देता है।
दशहरा अर्थात दुर्गा पूजा यह त्योहार वर्षा ऋतु के अंत में संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है। नवरात्र में मूर्ति पूजा में पश्चिम बंगाल का कोई सानी नहीं है जबकि गुजरात में खेला जाने वाला डांडिया बेजोड़ है। पूरे दस दिनों तक त्योहार की धूम रहती है। लोग भक्ति में रमे रहते हैं। मां दुर्गा की विशेष आराधनाएं देखने को मिलती हैं।
दशमी के दिन त्योहार की समाप्ति होती है। इस दिन को विजयादशमी कहते हैं। बुराई पर अच्छाई के प्रतीक रावण का पुतला इस दिन समूचे देश में जलाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने राक्षस रावण का वध कर माता सीता को उसकी कैद से छुड़ाया था। और सारा समाज भयमुक्त हुआ था। रावण को मारने से पूर्व राम ने दुर्गा की आराधना की थी। मां दुर्गा ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें विजय का वरदान दिया था।
रावण दहन आज भी बहुत धूमधाम से किया जाता है। इसके साथ ही आतिशबाजियां छोड़ी जाती हैं। दुर्गा की मूर्ति की स्थापना कर पूजा करने वाले भक्त मूर्ति-विसर्जन का कार्यक्रम भी गाजे-बाजे के साथ करते हैं।
भक्तगण दशहरे में मां दुर्गा की पूजा करते हैं। कुछ लोग व्रत एवं उपवास करते हैं। पूजा की समाप्ति पर पुरोहितों को दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट किया जाता है। कई स्थानों पर मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन भी किया जाता है।
श्रीराम का विजय
दशहरा अथवा विजयादशमी राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष, उल्लास तथा विजय का पर्व है। देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाया जाता है, बल्कि यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे देशों में भी मनाया जाता जहां प्रवासी भारतीय रहते हैं।
मैसूर का दशहरा : मैसूर का दशहरा देशभर में विख्यात है। मैसूर में दशहरे के समय पूरे शहर की गलियों को रोशनी से सज्जित किया जाता है और हाथियों का श्रृंगार कर पूरे शहर में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है।
इस समय प्रसिद्ध मैसूर महल को दीपमालिकाओं से दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इसके साथ शहर में लोग टार्च लाइट के संग नृत्य और संगीत की शोभा यात्रा का आनंद लेते हैं। द्रविड़ प्रदेशों में रावण-दहन का आयोजन नहीं किया जाता है।
दशहरा अलग अलग रूपों में
दशहरा एक ऐसा त्यौहार है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत कहा जाता है। हर कोई साल के इस फेस्टिवल टाइम को पसंद करता है। इस दौरान शहर की चमक और ऐसी बहुत-सी चीज़ें होती हैं, जिन्हें नज़रअंदाज करना मुश्किल होता है। जगह-जगह बने दूर्गा पूजा के पंडाल एक-दूसरे को चुनौती दे रहे होते हैं और कुछ टेस्टी फूड की पेशकश लोगों के मूड को फ्रेश करने के लिए काफी होती है। रेस्तरां में नवरात्रि स्पेशल फूड और पूरी-चना-हलवे के साथ कंजक पूजन आदि का हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है। पश्चिमी भारत में नवरात्रि को डांस फेस्टिवल के रूप में भी मनाया जाता है, गुजरात में गरबा और महाराष्ट्र में डांडिया। हाल के वर्षों में डांडिया फीवर देशभर में फैल चुका है, शायद बॉलिवुड फिल्मों में गरबा/डांडिया गाने-डांस ही इसका मुख्य कारण है। भगवान राम के हाथों रावण की हार को दशहरा के रूप में मनाया जाता है, यह सभी त्योहार दशहरा के अंतर्गत ही आते हैं।
दशहरा को विजय दशमीं के नाम से भी जाना जाता है, दानव महिषासुर पर देवी दूर्गा की जीत का चिन्ह। कहा जाता है कि देवी दूर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से लड़ाई की थी। दसवें दिन, जिसे दशमी भी कहते हैं उन्हें विजय हासिल हुई थी।
इस साल दशहरा आज 22 अक्टूबर 2015 को मनाया जा रहा है। यह प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है लेकिन यह दिवाली की तरह व्यापक रूप में नहीं मनाया जाता । परिवार के साथ मैदान में जाकर जलते हुए रावण को देखना और थियेटर आर्टिस्ट द्वारा अभिनय की गई रामलीला देखना लोगों के लिए खास होता है ।
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