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    भय वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में असफल होता है

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Wed, 13 May 2015 11:22 AM (IST)

    भय मन का एक विकार है। भय से मनुष्य टूट जाता है और धीरे-धीरे उसका व्यक्तित्व भी ढह जाता है। जिसे परमात्मा से प्यार है, सबसे पहले उसके अंदर निर्भयता आती है। भय की कोई वास्तविकता नहीं होती। इसे अपने मन के पास फटकने भी न दें। यह स्वयं हमारे

    भय वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में असफल होता है

    भय मन का एक विकार है। भय से मनुष्य टूट जाता है और धीरे-धीरे उसका व्यक्तित्व भी ढह जाता है। जिसे परमात्मा से प्यार है, सबसे पहले उसके अंदर निर्भयता आती है। भय की कोई वास्तविकता नहीं होती। इसे अपने मन के पास फटकने भी न दें। यह स्वयं हमारे द्वारा पैदा किया हुआ एक विकार होता है।

    खेल-खेल में कायर बनाए जाने वाले बच्चे जीवन के अंतिम समय तक डरपोक बने रहते हैं। मनोविज्ञान भय को एक मनोविकार मानता है। जब मनुष्य मन से भयभीत होता है तो उसके मस्तिष्क की ग्रंथियां सक्रिय होकर स्नाव प्रवाहित करने लगती है। इस कारण उसकी मानसिक दृढ़ता कमजोर हो जाती है। इसका प्रभाव अलग-अलग व्यक्तियों पर अलग-अलग प्रकार से पड़ता है। बच्चों को बचपन से ही बहादुर बनाने का प्रयास करें। उन्हें धर्मवीर, शूरवीर या कर्मवीर बनाएं, जैसे शिवाजी की मां ने उन्हें बनाया। बच्चों के मन में शुरुआत से ही अच्छे संस्कार डाले जाएं और उन्हें समाज के हित में कुछ करने के लिए प्रेरित किया जाए। यदि बच्चों के कोमल में उच्च आदर्शो और शिक्षा व संस्कार का मेल होगा तो वह स्वयं ही कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित होंगे। मदालसा ने अपने मन मुताबिक अपने बच्चों को बनाया। कुछ लोगों के बात-बात में रोंगटे खड़े हो जाते हैं, घबराने लगते हैं, डर से कांपने तक लगते हैं। कुछ लोग तो चूहे, छिपकली, कुत्ते आदि से इतना डरते हैं कि वे इनके पास आना तो दूर, इर्द-गिर्द फटकना भी पसंद नहीं करते।

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    भय वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में असफल होता है। जिसके पास आत्मविश्वास व आंतरिक मजबूती है, वह बड़ा से बड़ा कार्य चुटकी में कर देता है। यदि डरना ही है तो पाप से डरें, कुकर्म से डरें ताकि आप परमात्मा के प्यारे लाड़ले बन सकें। मृत्यु और दुर्घटनाओं के घटने का भय अक्सर मनुष्य को सताता रहता है। इस भय को भी ईश्वर के प्रति आस्था रखकर जीता जा सकता है। जो होना है, वह होकर रहेगा। याद रखें, ईश्वर ने आपको डरपोक बनकर जीने के लिए नहीं भेजा है। आप भयमुक्त जीवन जीना सीखें। आप अपनी छिपी हुई शक्तियों को जाग्रत कर ऊंचाई के शिखरों को छुएं। सद्कार्यो से निर्भयता आती है और जीवन में उच्चता आती है।