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Swami Vivekananda Jayanti 2023: जब स्वामी विवेकानंद ने एक श्वेत के घमंड को किया था चूर

Swami Vivekananda Jayanti 2023 प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी के दिन स्वामी विवेकानंद का जन्मदिवस राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देशभर में स्वामी जी के जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षा का प्रचार किया जाता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Mon, 09 Jan 2023 12:13 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jan 2023 12:13 PM (IST)
Swami Vivekananda Jayanti 2023: जब स्वामी विवेकानंद ने एक श्वेत के घमंड को किया था चूर
Swami Vivekananda Jayanti 2023: जब स्वामी विवेकानंद ने एक विदेशी को दिया था करारा जवाब।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Swami Vivekananda Jayanti 2023: 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में जन्में नरेन्द्रनाथ दत्त को आध्यात्मिक मार्ग अपनाने के बाद स्वामी विवेकानंद के नाम से जाना जाने लगा। प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day 2023) के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि नरेन्द्रनाथ ने बहुत कम उम्र में अध्यात्म का मार्ग अपना लिया था। साथ ही पश्चिमी संस्कृति में योग एवं वेदांत के विषय में जागृति लाने का श्रेय भी स्वामी विवेकानंद को ही जाता है। जिन्होंने 19वीं शताब्दी में विश्व भ्रमण कर धर्म, ज्ञान और योग की शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया था। आज भी उनके द्वारा शिकागो में दिए गए ऐतिहासिक भाषण की चर्चा की जाती है। जब केवल 'मेरे अमरीकी भाइयों और बहनों' कहने मात्र से ही पूरी सभा 2 मिनट तक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था।

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स्वामी विवेकानंद बचपन से ही बुद्धिमान छात्र थे। अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत के साथ-साथ कई अन्य भाषाओं पर उनकी अच्छी पकड़ थी। स्वामी जी के पिता कलकत्ता के उच्च-न्यायालय में वकील थे और उनके दादा दुर्गाचरण दत्त संस्कृत और फारसी के बड़े विद्वान थे। परिवार में शिक्षा और अध्यात्म के मेल ने उनके विचारों को जन कल्याण के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। अपने जीवनकाल में स्वामी जी की भेंट कई अध्यात्मिक गुरुओं से हुई। लेकिन देशाटन के समय उनकी भेंट कई ऐसे लोगों से भी जिनके घमंड को स्वामी जी अपने सरल किन्तु सटीक उत्तर से चूर कर दिया था।

विदेशी व्यक्ति के घमंड को किया था चूर

स्वामी विवेकानंद अधिकांश समय अपने साधारण भिक्षु रूपी वस्त्र पहनते थे। ऐसा ही साधारण जीवन वह विदेश यात्रा में भी अपनाते थे। एक दिन इसी वस्त्र को धारण कर स्वामी जी विदेश में घूम रहे थे। उनके वस्त्र ने एक विदेशी का ध्यान खींच लिया। उस विदेशी ने चिढ़ते हुए स्वामी जी की पगड़ी तक खींच ली। जब स्वामी जी ने स्पष्ट अंग्रेजी में ऐसा करने का कारण पूछा तो वह विदेशी अचंभित रह गया। उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि साधू के रूप में इस व्यक्ति को इतनी अच्छी अंग्रेजी कैसे आती है। जब उसने स्वामी जी से पूछा कि क्या आप शिक्षित हैं? तब स्वामी विवेकानंद जी ने विनम्रता से कहा 'हां! मैं पढ़ा लिखा हूं और सज्जन व्यक्ति हूं।' तब विदेशी ने कपड़े की ओर इशारा करते हुए कहा कि 'आपके कपड़े देखकर, आप पढ़े-लिखे व्यक्ति तो नहीं लगते।' इस बात पर स्वामी जी शालीनता से कहा कि आपके देश में एक दर्जी व्यक्ति को पढ़ा-लिखा बनाता है, लेकिन मेरे देश में मेरा व्यवहार मुझे सज्जन व्यक्ति बनाता है।' ऐसा जवाब सुनकर उस विदेशी को अपनी गलती का आभास हुआ।


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