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    Shivaji Jayanti 2022: आज है शिवाजी जयंती, जानें-वीर योद्धा के बारे में सबकुछ

    By Pravin KumarEdited By:
    Updated: Sat, 19 Feb 2022 09:10 AM (IST)

    Shivaji Jayanti 2022 तत्कालीन समय में भारतवर्ष पर मुगलों का शासन था। मराठा मुगलों के अधीनता स्वीकार नहीं करना चाहते थे। इसके लिए मराठा और मुगलों के बीच कई बार भयंकर युद्ध हुआ। बालकाल्य से शिवजी के हृदय में आजादी की लौ प्रज्ज्वलित हो रही थी।

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    Shivaji Jayanti 2022: 19 फरवरी को है शिवाजी जयंती, जानें-वीर योद्धा के बारे में सबकुछ

    Shivaji Jayanti 2022: छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 ई. में महाराष्ट्र राज्य स्थित शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। इनके पिताजी का नाम शाहजी भोंसले और माताजी का नाम जीजाबाई है। शिवाजी महाराज बाल्याकाल से प्रतिभा के धनी थे। कई अवसर पर शिवाजी महाराज ने अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवाया था। माता जीजाबाई जी ने शिवाजी का पालन-पोषण किया। साथ ही शिवाजी महाराज का मार्गप्रशस्त भी किया। शिवाजी सभी कलाओं में माहिर थे। बाल्यकाल में ही शिवाजी ने युद्ध और राजनीति की विद्या हासिल कर ली थी। समय के साथ उनकी प्रतिभा में निखार आया।

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    तत्कालीन समय में भारतवर्ष पर मुगलों का शासन था। मराठा मुगलों के अधीनता स्वीकार नहीं करना चाहते थे। इसके लिए मराठा और मुगलों के बीच कई बार भयंकर युद्ध हुआ। बालकाल्य से शिवजी के हृदय में आजादी की लौ प्रज्ज्वलित हो रही थी। महज 10 वर्ष की आयु में 14 मई, 1640 ईं को शिवाजी का विवाह सइबाई निम्बालकर से पूणे के लाल महल में हुआ था। शिवाजी ने अपने शासनकाल में उन सभी प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। इन सभी प्रदेशों को पुरुंदर की संधि के अतंर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे।

    तत्कालीन समय में महाराष्ट्र के ब्राहमणों ने शिवाजी महाराज को राजा मानने से इनकार कर दिया और शिवाजी का पुरजोर विरोध किया। इसके बाद शिवाजी के सचिव बालाजी ने ब्राहमणों के विरोध की चुनौती मान ब्राहमणों के हाथों शपथ ग्रहण दिलाने का प्रण किया। इसके बाद बालाजी ने गंगाभ नामक ब्राह्मण के पास तीन दूतों को भेजा। उस समय गंगाभ ने बालाजी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। साथ ही क्षत्रिय प्रमाणपत्र लाने की सलाह दी।

    किसी तरह बालाजी ने क्षत्रिय प्रमाण पत्र दिखाकर गंगाभ को पूणे आने का निमंत्रण दिया। हालांकि, जब दोबारा से जांच की गई, तो गंगाभ संतुष्ट नहीं हुए और राज्याभिषेक करने से इनकार कर दिया। अंत में किसी तरह गंगाभ राज्याभिषेक करने को राजी हो गए। हालांकि, ब्राहमणों ने स्वीकार नहीं किया। राज्याभिषेक के 12 दिनों बाद उनकी माता जीजाबाई का निधन हो गया। इसके लिए 4 अक्टूबर, 1674 को दोबारा राज्याभिषेक कराया गया। शिवाजी ने अपने शासनकाल में मैसूर, कोंकण, बेलगांव, वैलारी, त्रिचूर, धारवाड़ तथा जिंजी पर अधिकार किया। 4 अप्रैल, 1680 ईं को शिवाजी महाराज का निधन हो गया।