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    Sawan 2025: मृत्यु, रोग व शोक के भय से मुक्त रहता है शिव साधक

    By Jagran News Edited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 14 Jul 2025 03:01 PM (IST)

    शिव (Sawan 2025) यानी परमपुरुष का प्रकृति के समंवित चिह्न। भगवान शिव का रूप-स्वरूप जितना विचित्र है उतना ही आकर्षक भी। इनकी जटाएं अंतरिक्ष व चंद्रमा मन का प्रतीक है। इनकी तीन आंखें हैं इसीलिए इन्हें त्रिलोचन भी कहते हैं। इनका त्रिशूल भौतिक दैविक आध्यात्मिक तापों को नष्ट करता है।

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    Sawan 2025: शिव की सबसे ज्यादा पूजा लिंग रूपी पत्थर के रूप में होती है

    जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती (सदस्य वरिष्ठ श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट)। शिव परोकारी हैं, परमानंद हैं। शिव भगवंत हैं, ओंकार हैं। शिव ब्रह्म हैं, शिव धर्म हैं। शिव शक्ति हैं, शिव भक्ति हैं। जहां धर्म है वहां शिव हैं। शिवलिंग भगवान शिव की निराकार और साकार प्रकृति को दर्शाता है। शिव के साधक को मृत्यु, रोग और शोक का भय नहीं होता। यजुर्वेद में शिव को शांतिदाता बताया गया है।

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    शिव ने सृष्टि की स्थापना, पालना और विनाश के लिए क्रमशः ब्रह्मा, विष्णु और महेश (महेश भी शिव का नाम है) नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की रचना की है। इस तरह शिव ब्रह्मांड के रचयिता हुए। शिव को इसीलिए महादेव कहा जाता है। शिव की सबसे ज्यादा पूजा लिंग रूपी पत्थर के रूप में होती है। लिंग शब्द को लेकर बहुत भ्रम होता है। संस्कृत में लिंग का अर्थ है चिह्न। शिवलिंग का अर्थ है।

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    शिव यानी परमपुरुष का प्रकृति के समंवित चिह्न। भगवान शिव का रूप-स्वरूप जितना विचित्र है, उतना ही आकर्षक भी। इनकी जटाएं अंतरिक्ष व चंद्रमा मन का प्रतीक है। इनकी तीन आंखें हैं, इसीलिए इन्हें त्रिलोचन भी कहते हैं। ये आंखें सत्व, रज, तम (तीन गुणों), भूत, वर्तमान, (तीन भविष्य कालों), स्वर्ग, मृत्यु, पाताल (तीनों लोकों) का प्रतीक हैं।

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    सर्प जैसा हिंसक जीव शिव के अधीन हैं। इनका त्रिशूल भौतिक, दैविक, आध्यात्मिक तापों को नष्ट करता है। जबकि डमरू का नाद ही ब्रह्मा स्वरूप है। शिव के गले की मुंडमाला मृत्यु को वश में करने का संदेश देती है। महादेव चार पैर वाले जानवर की सवारी करके संदेश देते हैं कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष उनकी कृपा से मिलते हैं।