Sawan 2025: आत्मसंयम, सेवा और तपस्या का अवसर है सावन, मिलती है ये सीख
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सावन माह भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही उत्तम माना गया है। इसी के साथ सावन सोमवार का व्रत करना भी काफी शुभ माना गया है। चलिए डा. प्रणव पंड्या जी (अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख और देव संस्कृति विवि के कुलाधिपति) से जानते हैं सावन से जुड़ी कुछ खास बातें।

डॉ. प्रणव पंड्या, प्रमुख अखिल विश्व गायत्री परिवार। सावन का महीना चल रहा है, जिसे हिंदू धर्म में एक बहुत ही पावन अवधि के रूप में देखा जाता है। इस माह में विशेष रूप से शिव जी और मां पार्वती की आराधना की जाती है। इस माह में सच्चे मन से महादेव की भक्ति करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं इस माह के बारे में कुछ और विशेषताएं।
किसका प्रतीक है जल अर्पण
भारत रत आस्था और परंपराओं वाला देश है। यहां हर पर्व का अपना विशेष धार्मिक महत्व है। सभी महीनों में श्रावण को भगवान शिव का प्रिय मास माना गया है। इस महीने शिवभक्त उपवास रखते हैं, रुद्राभिषेक करते हैं और विशेष रूप से कांवड़ यात्रा निकालते हैं, जो शिव भक्ति का अनुपम उदाहरण है।
श्रावण मास में भक्तजन गंगा से जल भरकर पैदल चलते हुए शिवालयों में पहुंचते हैं वह जल शिवलिंग पर अर्पित करते और हैं। यह जल अर्पण एक पवित्र भावना और आत्मसमर्पण का प्रतीक है।
भगवान शिव के गुण
भगवान शिव के व्यक्तित्व में कई ऐसे गुण हैं, जिन्हें अपनाकर मनुष्य एक श्रेष्ठ जीवन जी सकता है। शिव जटाधारी हैं, भस्म लपेटे हैं और साधारण वस्त्र पहनते हैं। यह हमें सिखाता है कि सच्चा सुख वस्तुओं में नहीं, सरलता में है।
जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला विष पी लिया, तो उन्होंने पूरे जगत की रक्षा की। वे दुख सहकर भी शांत और करुणामय बने रहे। शिव सभी प्राणियों के लिए समान हैं। वे भूत-प्रेत, राक्षस, देवता सभी को स्वीकारते हैं। उनका यह व्यवहार हमें भेदभाव रहित की प्रेरणा देता है।
कैसी होती है सच्ची भक्ति
भगवान शिव के वाहन नंदी उनके चरणों में स्थिर रहते हैं। वे निष्काम भाव से भक्ति करते हैं, बिना किसी अपेक्षा के। यह हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति में स्वार्थ नहीं होना चाहिए। श्रावण मास आत्मसंयम, सेवा और तपस्या का अवसर है। यदि हम भगवान शिव के आचरण को जीवन में उतार लें, तो यह हमारे संपूर्ण विकास के द्वार खोलेगा।
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