कांची कामकोटि पीठ के नए कनिष्ठ शंकराचार्य बने श्री सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती, जानिए उनके बारे में
श्री सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती शंकराचार्य को मठ ने वर्तमान संत श्री विजयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य के उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता दे दी है। इसके बाद वह कांची कामकोटि पीठ के 71वें शंकराचार्य के रूप में मान्य हो गए हैं। उनके पिता अन्नावरम में प्रसिद्ध श्री सत्यनारायण स्वामी मंदिर में पुजारी हैं।

धर्म डेस्क, कांचीपुरम (तमिलनाडु)। आंध्र प्रदेश के ऋग्वेद के विद्वान श्री सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती शंकराचार्य को कांची कामकोटि पीठ का कनिष्ठ शंकराचार्य नियुक्त किया गया है। अक्षय तृतीया के शुभ दिन बुधवार को एक भव्य धार्मिक समारोह में यह एतिहासिक कार्यक्रम किया गया। इस दौरान देश भर से संत वहां मौजूद थे।
कांची मठ में परंपरा के अनुसार, संन्यास लेने से पहले 25 साल के कनिष्ठ शंकराचार्य को गणेश शर्मा द्रविड़ के नाम से पहचाना जाता था। अब उन्हें मठ ने वर्तमान संत श्री विजयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य के उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता दे दी है।
संन्यास स्वीकार महोत्सव के दौरान श्री विजयेंद्र सरस्वती ने डुड्डू सत्य वेंकट सूर्य सुब्रमण्यम गणेश शर्मा द्रविड़ को ‘सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती शंकराचार्य’ नाम दिया। इसके बाद वह कांची कामकोटि पीठ के 71वें शंकराचार्य के रूप में मान्य हो गए।
482 ईसा पूर्व हुई थी कांची कामकोटि की स्थापना
कार्यक्रम से जुड़े अनुष्ठान मंगलवार को पंच गंगा तीर्थम, श्री कांची कामाक्षी अंबल देवस्थानम में शुरू हुए। इस मौके पर श्री कामाक्षी मंदिर में श्री कामाक्षी अंबल सन्निधि और जगद्गुरु आदि शंकराचार्य सन्निधि की विशेष पूजा की गई। मंदिर के प्रतिनिधियों के द्वारा 71वें आचार्य को तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के विभिन्न मंदिरों से प्रसाद दिया गया।
कांची कामकोटि पीठ के अनुसार, "यह आयोजन जगद्गुरु आदि शंकराचार्य के 2534वें जयंती महोत्सव (2 मई, 2025) के साथ हुआ। उन्होंने 482 ईसा पूर्व में श्री कांची कामकोटि पीठ की स्थापना की थी। तब से पीठ को 70 आचार्यों की एक अखंड पंक्ति का गौरव प्राप्त है।
यह भी पढ़ें- गलत दिशा में रखा पानी, तो घर में होगें झगड़े… पैसे नहीं टिकेंगे और घेर लेंगी बीमारियां
इन विषयों में की है पढ़ाई
आंध्र प्रदेश के अन्नवरम क्षेत्र के ऋग्वैदिक विद्वान श्री सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती शंकराचार्य ने श्री ज्ञान सरस्वती देवस्थानम, बसारा, निर्मल जिला, निजामाबाद, तेलंगाना में सेवा की थी। उन्होंने यजुर्वेद, सामवेद, षडंगस और दशोपनिषत में अपनी पढ़ाई पूरी की है।
बताते चलें कि वरिष्ठ शंकराचार्य को 15 वर्ष की छोटी उम्र में उनके पूर्ववर्ती और 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने 29 मई 1983 को पीठम का आचार्य बनाया था। जयेंद्र सरस्वती को उनके पूर्ववर्ती चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने 24 मार्च 1954 को आचार्य बनाया था।
यह भी पढ़ें- Guru Gochar 2025: मई में गुरु चलेंगे अतिचारी चाल, जानिए इसका मतलब है और किन राशियों को होगा फायदा
पिता दुद्दू घनवंतरी हैं मंदिर में पुजारी
श्री सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती शंकराचार्य के पिता दुद्दू धनवंतरी अन्नावरम में प्रसिद्ध श्री सत्यनारायण स्वामी मंदिर में पुजारी हैं। उनकी मां अलीवेलु मंगादेवी और बहन भी दीक्षा समारोह की गवाह बनीं। कार्यक्रम के दौरान उनके गुरु और वर्तमान पीठाधिपति विजयेंद्र सरस्वती ने तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में नए आचार्य को एक दंड सौंपा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।