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    Vishwakarma Puja 2024: 2 शुभ योग में मनाई जाएगी विश्वकर्मा पूजा, प्राप्त होगा दोगुना फल

    By Jagran News Edited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 15 Sep 2024 03:09 PM (IST)

    इस साल विश्वकर्मा पूजा के दिन दो उत्तम योग बन रहे हैं पहला रवि योग और दूसरा सुकर्मा योग। ज्योतिष गणनानुसार रवि योग सर्वार्थ सिद्धि योग की तरह अत्यंत शुभ और लाभदायक है। रवि योग भौतिक संपन्नता दिलाने में सहायता करता है। सुकर्मा योग में किए गए कार्यों में विघ्न नहीं आता और कार्य शुभफलदायक होता है। ईश्वरोपासना और सेवा सत्कर्म करने के लिए यह योग अति उत्तम है।

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    Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक महत्व

    डा. चिन्मय पण्ड्या (देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति)। भगवान ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि बनाई, तो इसके निर्माण का कार्य अपने सातवें पुत्र विश्वकर्मा जी को सौंपा और कहा कि आप पूरी सृष्टि के निर्माण कार्य का निष्पादन करें। भगवान विश्वकर्मा जयंती निर्माण कार्यों से जुड़ें वास्तुकारों के लिए उत्सव का दिन है। उन्हें विश्व का निर्माता माना जाता है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के आदेश पर ही विश्वकर्मा जी ने सृष्टि का मानचित्र बनाया था। इनको विश्व का पहला अभियंता भी कहते हैं।

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    विश्वकर्मा जी ने पुष्पक विमान, भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका, देवाधिदेव शंकर जी का त्रिशूल, पांडवों के इंद्रप्रस्थ से लेकर सोने की लंका के अलावा देवी-देवताओं के अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया था। ऋग्वेद के अनुसार विश्वकर्मा जी को यांत्रिकी और वास्तुकला के विज्ञान आदि का श्रेय दिया जाता है। इसलिए विश्वकर्मा जी की विशेष पूजा कारखानों-औद्योगिक क्षेत्रों में की जाती हैं। इसे भारत के अलावा पड़ोसी देश नेपाल सहित अनेक देशों में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। हमारे पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि विश्वकर्मा पूजा करने से व्यापार में उन्नति होती है। भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से सफलता प्राप्त होती है।

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    इस साल विश्वकर्मा पूजा के दिन दो उत्तम योग बन रहे हैं, पहला रवि योग और दूसरा सुकर्मा योग। ज्योतिष गणनानुसार रवि योग सर्वार्थ सिद्धि योग की तरह अत्यंत शुभ और लाभदायक माना गया है। रवि योग भौतिक संपन्नता दिलाने में सहायता करता है। सुकर्मा योग में किए गए कार्यों में विघ्न नहीं आता और कार्य शुभफलदायक होता है। ईश्वरोपासना और सेवा, सत्कर्म करने के लिए यह योग अति उत्तम है।

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    श्वेताश्वतरोपनिषद् के तीसरे अध्याय में-'विश्वतः चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वस्पात' कहते हुए इनकी सर्वव्यापकता, सर्वज्ञता, शक्ति-संपन्नता और अनंतता दर्शाई गई है। जो साधुजन शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा के सद्गुणों को धारण कर निःस्वार्थ भाव से कार्य करते हैं, उन्हें विश्वकर्मा की उपाधि से अलंकृत किया जाता है। भारतीय संस्कृति के अंतर्गत भी शिल्प संकायों, कारखानों, उद्योगों में भगवान विश्वकर्मा की महत्ता को दर्शाते हुए उत्साह के साथ इस दिन को पर्व के रूप में मनाते हैं। यह उत्पादन-वृद्धि और राष्ट्रीय समृद्धि के लिए एक संकल्प दिवस भी है। इसीलिए जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के उद्घोष के साथ उत्साहपूर्वक इस पर्व को मनाया जाता है।