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Guru Hargobind Ji Jayanti 2021: आज है सिखों के गुरु हरिगोबिंद जी का प्रकाश पर्व, जानें उनके बारे में

Guru Hargobind Ji Jayanti 2021 गुरू हरगोबिंद जी सिखों के छठें गुरू हैं इन्हे छठ्ठे बादशाह के नाम से भी जाना जाता है। गुरू हरगोबिंद जी की जयंती नानकशाही पंचांग के मुताबिक आज 25 जून दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 01:00 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 08:30 AM (IST)
Guru Hargobind Ji Jayanti 2021: आज है सिखों के गुरु हरिगोबिंद जी का प्रकाश पर्व, जानें उनके बारे में
Guru Hargobind Jayanti 2021: आज है सिखों के गुरु हरिगोबिंद जी का प्रकाश पर्व, जानें उनके बारे में

Guru Hargobind Jayanti 2021: गुरू हरगोबिंद जी सिखों के छठें गुरू हैं, इन्हे छठ्ठे बादशाह के नाम से भी जाना जाता है। गुरू हरगोबिंद जी की जयंती नानकशाही पंचांग के मुताबिक आज 25 जून दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है। सिख समुदाय इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाता है, इस दिन गुरूद्वारों मे सबद कीर्तन तथा विशेष लंगरों का आयोजन किया जाता है। गुरू हरगोबिंद जी को "अकाल तख्त" की स्थापना और सिख समुदाय को "मीर और पीर" की तलवार देने के लिए जाना जाता है।

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गुरू हरगोबिंद जी का जीवन परिचय

गुरू हरगोबिंद जी का जन्म गुरू की वडाली अमृतसर में 1595 ई. में सिखों के पांचवे गुरू अर्जुनदेव के यहां हुआ था। 11 वर्ष की अवस्था में गुरू अर्जुनदेव ने इन्हें गुरू की उपाधि प्रदान कर दी थी। सिख गुरूओं के रूप में इन्होंने सबसे लंबा कार्यकाल 37 साल 9 महीने 3 दिन तक संभाला। गुरू हरगोबिंद जी ने सिख समुदाय में वीरता का संचार करने तथा उन्हें संगठित करना का कार्य किया। मुगल बादशाह जहांगीर ने गुरू अर्जुनदेव को फांसी दे दी थी, तब गुरू हरगोबिंद जी ने "मीर और पीर" की दो तलवारें धारण कीं। एक तलवार धर्म के लिए तो दूसरी धर्म की रक्षा के लिए।

52 कलियों का अंगरखा और दाताबंदी छोड़

सिखों के बढ़ते प्रभाव के चलते जहांगीर ने गुरू हरगोबिंद जी को ग्वालियर के किले में कैद करवा दिया था। लेकिन गुरू हरगोबिंद जी के प्रभाव के चलते जहांगीर मानसिक रूप से परेशान रहने लगा। फकीर की सलाह पर मुगल बादशाह गुरू हरगोबिंद जी को रिहा करने पर राजी हुआ। परन्तु गुरू हरगोबिंद जी अपने साथ कैद 52 राजाओं को भी रिहा करने की मांग पर अड़ गए। जहांगीर की ओर से शर्त रखी गई कि जितने राजा गुरू हरगोबिंद का अंगरखा पहन कर निकल सकेंगे, उनको रिहा कर दिया जाएगा। गुरू हरगोबिंद जी ने 52 कलियों का अंगरखा पहना, जिसकी एक-एक कली को पकड़ कर 52 राजा रिहा हो गए। तब गुरू हरगोबिंद जी को “दाताबंदी छोड़” के नाम से भी जाना गया।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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