स्वतंत्रता संग्राम में भी निर्मला देवी की अहम भूमिका रही
श्री माताजी बचपन में अपने माता पिता के साथ गांधीजी के आश्रम में रहा करती थी। गांधीजी ने उस बच्ची के विवेक और पांडित्य को देखकर उन्हें निरंतर बहुत बढ़ावा दिया। निर्मला देवी ने स्वतंत्रता संग्राम में भी बहुत बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
श्री माताजी बचपन में अपने माता पिता के साथ गांधीजी के आश्रम में रहा करती थी। गांधीजी ने उस बच्ची के विवेक और पांडित्य को देखकर उन्हें निरंतर बहुत बढ़ावा दिया। निर्मला देवी ने स्वतंत्रता संग्राम में भी बहुत बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
निर्मला देवी के नेपाली नैन-नक्श को देखकर गांधीजी उन्हें नेपाली कहते थे। इतने कम आयु में ही गहरी समझ होने के कारण गांधीजी से अध्यात्मिक मामलो में उनकी सलाह लिया करते थे।
श्री माताजी ने स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने बहुत साहस के साथ एक युवा नेत्री की भूमिका निभाई जो की अदम्य साहस से परिपूर्ण थी। 1942 के दौर में गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन की घोषणा की। उनके सक्रिय भागीदारिता के कारण श्री माताजी को अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ जेल भी जाना पड़ा। युवा होने पर निर्मला देवी अपने माता-पिता के साथ गांधीजी के आश्रम में रहने लगीं। गांधीजी ने निर्मला देवी के विवेक और पांडित्य को देखकर उन्हें निरंतर प्रोत्साहन दिया। अपने माता पिता के समान निर्मला देवी ने भी स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और, 1942 में गांधीजी के असहयोग आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी के कारण निर्मला देवी को भी अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ जेल जाना पड़ा।
स्वतंत्रता प्राप्ति से कुछ समय पहले 1947 में, निर्मला जी ने चंद्रिका प्रसाद श्रीवास्तव नामक एक उच्चपदासीन भारतीय प्रशासनिक अधिकारी से शादी कर ली। चंद्रिका प्रसाद श्रीवास्तव, ने बाद में लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया, उन्हें इंग्लैंड की महारानी द्वारा मानद नाइटहुड भी प्रदान किया गया। निर्मला देवी की दो बेटियां, कल्पना श्रीवास्तव और साधना वर्मा हैं। 1961 में, निर्मला जी ने यूथ सोसायटी फॉर फिल्म्स की शुरुआत युवाओं में राष्ट्रीय, सामाजिक और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए की थी। वह केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की सदस्य भी रहीं।
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