नई दिल्ली, माता अमृतानंदमयी | जीवन दर्शन: सभी जीवों में एक भाव सामान्य रूप से है, वह है प्रेम। इस धरा पर यदि कोई उत्तम पुष्प खिल सकता है तो वह है प्रेम का पुष्प। एक सुंदर और सुगंधित फूल किसी छोटे से पौधे पर भी खिल सकता है। उसी प्रकार, प्रेम मानव-हृदय में प्रस्फुटित होता और फलता-फूलता है। इसे भीतर से विकसित होने देना चाहिए। दो प्रेमी हृदयों के सौंदर्य व शक्ति से बढ़कर कुछ गूढ़ नहीं है। प्रेम में पूर्णिमा के चंद्रमा जैसी शीतलता तथा सूर्य की किरणों जैसी चमचमाती दीप्ति है। केवल और केवल प्रेम ही मानसिकता में स्थायी परिवर्तन ला सकता है। यदि पति-पत्नी परस्पर सूझ-बूझ के साथ रहते हैं तो उनके बीच अलगाव की स्थिति कम होती जाएगी। किसी सीमा तक, इससे सामाजिक समस्याएं भी कम होंगी।

आजकल दूसरों को दिखाने के लिए कोई दंपती यह दावा कर सकते हैं कि, 'हम परस्पर प्रेम व विश्वास के साथ रहते हैं।' यह सिर्फ दावा ही है। प्रेम कोई कल्पना अथवा दिखावे की वस्तु नहीं है, यह जीने की राह है। स्वयं जीवन ही है। प्यास बुझाने के लिए तो हमें झुक कर नदी का पानी पीना होगा। परंतु यदि हम सीधे तन कर खड़े रहेंगे और नदी को भला-बुरा कहेंगे तो उससे क्या लाभ होगा? यदि हमें स्वयं को प्रेम के निर्मल जल से भरना है तो समर्पण करें। प्रेम को लुप्त होने से रोकने के लिए हमें फिर से ईश्वर (किसी भी रूप में) में श्रद्धा कर उसकी पूजा-उपासना की ओर लौटना होगा। वह ईश्वर बाहर कहीं नहीं, अपितु भीतर है। प्रेम के रूप में है। करना है तो केवल इतना कि अपनी दृष्टि को सुधार लें। जैसे पुस्तक पढ़ते समय हम अपनी दृष्टि को शब्दों पर जमाते हैं, न कि उस कागज पर, जिस पर वे शब्द छपे हैं। यह प्रयोग करके देखिए।

एक बड़े से बोर्ड को सफेद कागज से ढक दीजिए। इस कागज के बीचोबीच एक छोटा सा काला धब्बा लगा दें। फिर लोगों से पूछिए, 'आपको क्या दिखाई दे रहा है?' अधिकतर का उत्तर होगा, 'मुझे एक छोटा सा काला धब्बा दिखाई दे रहा है।' बहुत कम लोग कहेंगे कि, 'मुझे एक बड़े से सफेद कागज के बीचोबीच एक काला धब्बा दिखाई दे रहा है।' आज मानवता की ऐसी ही दशा हो गई है! जीवन के आधार-मात्र प्रेम के मूल्य को आंकने की क्षमता नहीं रही। जब हम पढ़ें तो आवश्यक है कि अक्षरों को देख पाएं, परंतु पढ़ते समय यह ज्ञान भी बना रहे कि कागज अधिष्ठान है। इसी प्रकार, प्रेम जीवन का आधार है। फिर सब शोक दूर हो जाएंगे तथा सब सुखी होंगे।

Edited By: Shantanoo Mishra