सुख-समृद्धि की देवी महालक्ष्मी जी
दीपावली का पर्व रोशनी और खुशहाली का प्रतीक है। यह अवसर होता है, अपने इष्ट से मनोवांछित फल पाने का। कहते हैं इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी के भ्रमण पर निकलती हैं और जिसके घर पर भी उनके पैर पड़ते हैं वहां सुख-समृद्धि का वास होता है। दीपावली पर भक्त मां लक्ष्मी की आराधना कर मनोवांछित फल पा सकते हैं। धन और समृद्धि की इस देवी के विभिन्न रूप व नाम हैं। आइए जानें इनके बारे में..
दीपावली का पर्व रोशनी और खुशहाली का प्रतीक है। यह अवसर होता है, अपने इष्ट से मनोवांछित फल पाने का। कहते हैं इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी के भ्रमण पर निकलती हैं और जिसके घर पर भी उनके पैर पड़ते हैं वहां सुख-समृद्धि का वास होता है। दीपावली पर भक्त मां लक्ष्मी की आराधना कर मनोवांछित फल पा सकते हैं। धन और समृद्धि की इस देवी के विभिन्न रूप व नाम हैं। आइए जानें इनके बारे में.
सुख और समद्धि की देवी मां लक्ष्मी के पूजन का दीवाली पर विशेष महत्व रहता है। आइए एक नजर डालें मां लक्ष्मी के विभिन्न रूपों पर
धन लक्ष्मी
लक्ष्मी के विभिन्न रूपों में से एक रूप है धन लक्ष्मी, धन अर्थात रुपयों, पैसों की देवी। धन की स्थिरता एवं आगमन दोनों बने रहें, ऐसी कामना की पूर्ति के लिए लक्ष्मी के जिस रूप को पूजा जाता है उसका नाम धन लक्ष्मी है।
धान्य लक्ष्मी
घर में कभी अन्न की कमी न हो तथा प्रकृति निरंतर अच्छी फसल प्रदान करती रहे, क्योंकि इसी धान्य पर हम आश्रित हैं। इन सब की पूर्ति एवं निरंतर उपलब्धता के लिए लक्ष्मी के धान्य रूप की पूजा अर्चना की जाती है, जिसे हम धान्य लक्ष्मी कहते हैं।
विद्या लक्ष्मी
जीवन में सही समय पर हमें सही विद्या एवं ज्ञान प्राप्त हो सके, जिससे हम निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर रहें, इसके लिए जरूरी है विद्या लक्ष्मी की हमारे ऊपर पूर्ण कृपा।
धैर्य लक्ष्मी
लक्ष्मीपति होने का विशेष गुण है धैर्य धारण करना। यदि मनुष्य स्थिर प्रकृति का है, तो चंचलता लक्ष्मी भी उसके पास स्थिर रहती है। इसलिए जीवन में धैर्य का होना जरूरी है, जिसकी प्राप्ति के लिए धैर्य लक्ष्मी की पूजा-अर्चना आवश्यक है।
यश लक्ष्मी
इज्जत व सम्मान प्राप्त करने में वर्षो बीत जाते हैं परंतु गंवाने में कुछ ही पल लगते हैं। जीते जी यश प्राप्त हो तथा यह यश स्थिर बना रहे, ऐसी इच्छा के लिए यश लक्ष्मी को पूजा जाता है।
संतान लक्ष्मी
जब लक्ष्मी इस रूप में रहती हैं, तो जातक को संतान की प्राप्ति होती है, उसके वंश की वृद्धि होती है। संतान की कमी व अभाव से जीवन नीरस तथा आलस्यपूर्ण बनता है, जिसका प्रभाव जातक की आयु पर भी पड़ता है। ऐसा न हो, इसके लिए लक्ष्मी के संतान लक्ष्मी रूप का पूजन करना चाहिए।
सौभाग्य लक्ष्मी
मेहनत सभी करते हैं परंतु भाग्य के साथ न देने के कारण कुछ पिछड़ जाते हैं। इसलिए सफलता के लिए भाग्य का होना भी जरूरी है, जिसके अभाव को सौभाग्य लक्ष्मी रूप की स्तुति द्वारा पूरा किया जा सकता है।
आयु लक्ष्मी
अपने जीवन में आयु के रहते, अधिक से अधिक सुख को भोगकर जीवन के सपनों को साकार कर पाएं, इसके लिए लक्ष्मी के आयु लक्ष्मी रूप की आराधना करनी चाहिए। महालक्ष्मी का मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद
श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नम:।
मां लक्ष्मी के हैं अनेक नाम
यूं तो लक्ष्मी जी को हमारे शास्त्रों में हजारों नामों से संबोधित किया गया है परन्तु हम यहां लक्ष्मी जी के सबसे प्रमुख इक्तालीस नाम उनके अर्थ और अभिप्राय सहित दे रहे हैं:
1. आयुतवल्लभा: आयुत अर्थात् भगवान विष्णु की प्रिया।
2. अनपगामिनी: विष्णु से कभी भी अलग न होने वाली।
3. आद्र्रा: गजेन्द्र द्वारा लाई गई।
4. करीषिणी: ऐरावत (समुद्र मंथन से प्राप्त हाथी) पर सवारी करने वाली।
5. तर्पयंती: तृप्ति प्रदान करने वाली।
6. त्रिभुवनभुविकारी: तीनों लोकों को वैभव संपन्न कराने वाली।
7. क्षमा: सब को माफ करने वाली।
8. गोदा: गौ धन की दाती।
9. आदित्यवर्णा: सूर्य केसमान तेजोमय।
10. ज्वलंती: दीप्तिमय।
11. पद्मप्रिया: कमल को पसंद करने वाली।
12. धनदा: धन-धान्य देने वाली।
13. देवजुष्टा: सभी देवों द्वारा पूजित।
14. पद्माक्षी: कमल पत्र के समान नेत्रों वाली।
15. पद्मिनी: सौंदर्य की देवी।
16. पिंगला: दीपशिखा के समान प्र”वलित दिखने वाली।
17. पुष्टि: सब का पोषण करने वाली।
18. मनोज्ञा: सब की अभिलाषा स्वयं जानने वाली।
19. माता: जगत की सृष्टि करने वाली।
20. माधवप्रिया: विष्णु को प्राणों से भी प्रिय।
21. पुष्करिणी: हाथ में कमल धारण करने वाली
22. प्रभाषा: उत्तम कांति से संपन्न।
23. महाधना: पर्याप्त धन वाली।
24. भूमि: परम सत्ता प्राप्त करने वाली।
25. यशसा ज्वलंती: यशों से विश्वविख्यात।
26. यष्टि: पूजने योग्य अम्बिका।
27. उदारा: भक्तों का उद्धार करने वाली।
28. विश्वप्रिया: विष्णु की प्रिय पत्नी।
29. श्री: भगवान का आसरा लेकर विराजित।
30. सरोजहस्ता: दोनों हाथों में कमल धारण किए हुए।
31. हेमामालिनी: स्वर्ण मालाओं को धारण करने वाली।
32. विष्णुसखि: भगवान विष्णु की सखी या मित्र।
33. हरिवल्लभा: नारायण अर्थात विष्णु की प्राणाधार।
34. हिरण्यवर्णा: स्वर्ण के समान चमकयुक्त पीतवर्ण वाली।
35. लक्ष्मी: सभी का उद्धार करने वाली।
36. भक्ताभिलाषी: भक्तों की अभिलाषा पूरी करने वाली।
37. विष्णु मनोनुकूला: विष्णु के मन के अनुकूल रहने वाली।
38. पद्मोरू: आसन रूप में कमल पर विराजमान रहने वाली।
39. सोहिवसमता: मंद-मधुर मुस्कान से युक्त।
40. सर्वमातेश्वरी: संसार की माता।
41. सर्वभर्तेश्वरी: संसार का भरण-पोषण करने वाली।
[फीचर डेस्क]
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