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    जीवन दर्शन: अपनी भूल को स्वीकार करें

    जीवन में सीखने के लिए कई बातें हैं। सुखी और सफल जीवन के लिए व्यक्ति को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके विषय में भी कई विद्वानों ने शास्त्र व पुराण के माध्यम से बताया है। आइए श्री श्री रविशंकर जी से जानते हैं भूल को स्वीकारने का महत्व।

    By Jagran NewsEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 30 Apr 2023 03:32 PM (IST)
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    श्री श्री रविशंकर जी से जानिए जीवन का अनमोल ज्ञान।

    नई दिल्ली, श्री श्री रविशंकर (आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक योग गुरु); भूल का ज्ञान तब होता है, जब आप निर्दोष होते हैं और वर्तमान क्षण में होते हैं। निर्दोष और वर्तमान क्षण में होने पर आप पहले ही भूल से बाहर हो चुके हैं। अतीत के बारे में चिंता करने के बजाय इस क्षण में जागें और इसे स्वीकार करें। आगे बढ़ें और स्वयं को या अन्य को दोषी ठहराने में न उलझें। हम आम तौर पर अपनी गलतियों को सही ठहराते हैं, ताकि मन में अपराध बोध महसूस न हो। किंतु यह उपाय काम नहीं करता। आप कितना भी स्पष्टीकरण देते रहें, अपराध बोध बना रहता है। आप इससे बचना चाहते हैं और यह बना रहता है। फिर आपके व्यवहार को अंदर ही अंदर विकृत कर देता है।

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    आपने जो गलती की है, उसके लिए आपको दुखी महसूस करने का पूरा अधिकार है। एक क्षण के लिए, 10 मिनट या 25 मिनट के लिए पूरी तरह से दुखी बने रहें। इससे ज्यादा नहीं। फिर इससे बाहर आ जाएं। गलती को स्वीकार करें। अपराध बोध के साथ सौ प्रतिशत रहें और वह पीड़ा एक ध्यान की तरह बन जाएगी और आपको अपराध बोध से मुक्त कर देगी, भीतर स्वतंत्रता ला देगी। अब आप उस व्यक्ति से कैसे निपटेंगे जिसने गलती की है? किसी व्यक्ति को वह गलती न बताएं, जो वह पहले से जानता है। इस प्रकार उन्हें दोषी, रक्षात्मक या क्रोधित महसूस न कराएं, क्योंकि इससे दूरी और बढ़ेगी। आपको केवल उस व्यक्ति की गलती को इंगित करना चाहिए, जो इसके बारे में अनजान है, लेकिन जानना चाहता है।

    अक्सर लोगों को अपनी गलतियों के बारे में पता होता है, लेकिन वे नहीं चाहते कि कोई उन्हें इस बारे में बताए। किसी व्यक्ति की गलती को इंगित करने से पहले, देखें कि आपकी टिप्पणी किसी भी तरह से स्थिति को सुधारने, प्रेम को बढ़ावा देने या सद्भाव लाने में मदद करेगी या नहीं। दूसरे की गलतियों के पीछे उनका इरादा न देखें।

    जब कोई कुछ गलत करता है, तो अक्सर हम सोचते हैं कि उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया है। जब हम व्यापक दृष्टिकोण से देखते हैं तो पाते हैं कि गलती करने वाला शिक्षा या जानकारी के अभाव में, अत्यधिक तनाव या संकीर्णता का शिकार होने के कारण भी गलती कर बैठता है। एक बुद्धिमान व्यक्ति यदि दूसरों में गलतियां देखता है, तो करुणामय तरीके से उन्हें इससे बाहर आने में मदद करता है, लेकिन बुद्धिहीन इस बात से प्रसन्न होता है और उसके बारे में सब को बताता है। एक बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा दूसरों की प्रशंसा करता है। आत्मा को ऊपर उठाना ही बुद्धिमत्ता है। जब आप केंद्रित होते हैं, तो हमेशा अपने आसपास के लोगों का उत्थान करते हैं।