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Janmashtami 2022: इस साल इस तरह मनाएं जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से होगा सब अच्छा

Janmashtami 2022 भारत उत्सवों का देश रहा है। ऐसा देश जहां हर चौथे दिन कुछ-न-कुछ आ जाता है वो इसलिए ही रहा कि जल्दी-जल्दी मौके दिए जाते हैं। पिछला चूका तो अब ये ले लो साल भर क्यों खराब करना क्यों इंतज़ार करना अगली जन्माष्टमी का?

By Shivani SinghEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 12:59 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 12:59 PM (IST)
Janmashtami 2022: इस साल इस तरह मनाएं जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से होगा सब अच्छा
Janmashtami 2022: इस साल इस तरह मनाएं जन्माष्टमी

 नई दिल्ली, Janmashtami 2022, आचार्य प्रशांत: भाद्रपद के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन वासुदेव और देवकी के आठवाें पुत्र श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। और उसके साथ की कई चमत्कारी पौराणिक कथाएं जैसे कि यमुना नदीं का श्रीकृष्ण का पैर छूना, वासुदेव जी ने बालक की रक्षा के लिए उन्हें एक टोकरी में रखकर यमुना पार करना और फिर यशोदा मैया के पास छोड़ देना और फिर ऋी कृष्ण का पूरा बाल्यकाल है। इसके अलावा एक दूसरा तरीका हो सकता है कि ये जो हमारा पूरा वर्ष रहता है इसमें हम लगातार समय में ही जीते हैं और समय बड़ा बंधन है हमारा, तो देने वालों ने हमको एक तोहफ़ा दिया है ऐसा, जो समय में होकर भी समय से आगे की याद दिलाएगा।

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जन्माष्टमी को श्री कृष्ण के जन्मदिवस के रूप में न मनाएं। क्योंकि कृष्ण तो वो हैं जो अर्जुन को बताया था कि 'आत्मा न तो जन्म लेती है न मरती है, सत्य न तो आता है न जाता है।' भगवान श्रीकृष्ण मनुष्य जगत को समझा गए हैं कि जन्म-मृत्यु कुछ होता ही नहीं।

श्रीकृष्ण का तो कोई जन्म होता नहीं। क्योंकि कृष्ण कभी मरे ही नहीं। मनुष्य हैं जिन्हें जन्म की आवश्यकता है, क्योंकि हम कभी पैदा हुए नहीं। जन्माष्टमी को ऐसे ही मनाइए कि साल भर की हबड़-दबड़ में एक दिन का आपको मौका मिला है ठहर जाने का। ये ठहरना ही नया जन्म है, क्योंकि हम जो चल रहे हैं वो अपने बन्धनों के कारण चल रहे हैं। ठहरने का मतलब हो जाएगा कि बन्धनों पर नहीं चल रहे हैं, आज़ादी हुई - ये आज़ादी ही नया जन्म है।

कृष्ण की ओर न देखें बल्कि अपनी ओर देखें। कृष्ण की ओर देखेंगे, तो अपने-आप को देखने से फिर चूक जाएंगे। श्रीकृष्ण के नाम पर आप देखेंगे किसको? आप कृष्ण की छवियों को ही देखेंगे, और वो छवियाँ किसने बनाईं? आपने, तो बड़ी गड़बड़ हो जानी है, एक अच्छा अवसर फिर चूक जाना है; आप वो सब कुछ करते जाएँगे जो आपके साल-भर के व्यवहार का हिस्सा है, जन्माष्टमी पर भी आप वही करते जाएँगे।

भारत उत्सवों का देश रहा है। ऐसा देश जहां हर चौथे दिन कुछ-न-कुछ आ जाता है, वो इसलिए ही रहा कि जल्दी-जल्दी मौके दिए जाते हैं। पिछला चूका तो अब ये ले लो, साल भर क्यों खराब करना, क्यों इंतज़ार करना अगली जन्माष्टमी का? हर पर्व आपको यही बताने के लिए आता है कि बदलो, रुको, देखो कि तुम ज़िंदा नहीं हो; उठ जाओ, जियो।

कृष्ण का भी सन्देश यही है। कृपा करके कृष्ण को न झुलाएं, उनके लिए पालना न बनाएँ, न उनको वो कपड़े पहनाना। अरे! कृष्ण को नहीं आवश्यकता है इन सब चीज़ों की; अपनी ओर देखिए कि “हम कैसे हैं।“ और जब आप अपनी ओर देखते हैं तब आपकी आँखों के पीछे जो होता है। उसे श्रीकृष्ण कहते हैं। श्रीकृष्ण वो स्रोत हैं जो आपको ताकत देते हैं कि आप बिना डरे देख पाएं। आप एक बार फैसला तो कीजिए कि सच्चाई में जीना है, फिर जो ताकत अपने-आप उभरती है उस ताकत का नाम कृष्ण है।

इस लेख को जाने माने आचार्य प्रशांत जी ने लिखा है, जो एक वेद-शास्त्रों का काफी ज्ञान रखते हैं और युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन और अध्यात्म की ओर ले जाने की अलख जगा रहे हैं।

Pic Credit- Freepik 


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