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    इंसानियत का नाता

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Tue, 24 Feb 2015 12:07 PM (IST)

    इंसानियत का नाता ईश्वर की नजर में सब इंसान बराबर हैं। ऐसे में किसी को नीचा या या ऊंचा समझना ठीक नहीं। एक-दूसरे को आदर-सम्मान और यथासंभव सहयोग देने से ही समाज व देश मजबूत होकर आगे बढ़ता है। विश्व सामाजिक न्याय दिवस (20 फरवरी) को था। मिसेज शर्मा फुर्सत मिलते ही

    ईश्वर की नजर में सब इंसान बराबर हैं। ऐसे में किसी को नीचा या या ऊंचा समझना ठीक नहीं। एक-दूसरे को आदर-सम्मान और यथासंभव सहयोग देने से ही समाज व देश मजबूत होकर आगे बढ़ता है। विश्व सामाजिक न्याय दिवस (20 फरवरी) को था।

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    मिसेज शर्मा फुर्सत मिलते ही बुटीक के कामों में लग जाती हैं। बुटीक के बाहर टंगे साइन बोर्ड पर उन्होंने लिख रखा है- 'परफेक्ट कॉर्नर, टाइम पर डिलीवरी, क्वालिटी से समझौता नहीं।Ó कामवाली से उनकी अनबन की कहानी पूरे मुहल्ले में चर्चित है। देर से आनेक कारण कई कामवालियों को वह नौकरी से निकाल चुकी थीं।

    एक दिन सुबह बुटीक में प्रवेश करते समय अचानक उनका पैर फिसल गया। गहरी चोट आई। उनकी एक पुरानी कामवाली ने यह देखा, तो वह तुरंत उन्हें नर्सिंग होम ले गई। अगले दिन मिसेज शर्मा कस्टमर से किया गया वादा निभाने में कामयाब हो सकीं...।

    हम से है समाज -

    समाज की अहमियत समझकर भी हम अक्सर दूसरों को उचित सम्मान नहीं दे पाते। असमानता दूर करने की बात किसी व्यवस्थ्ाा या विचार से ज्यादा हमारी सोच, हमारे व्यवहार पर निर्भर करती है। क्यों न ऐसा समाज बुनें, जो सहअस्तित्व की राह पर आगे बढ़े।

    ...तो कोई बात बने

    घर की चहारदीवारी से बाहर कदम रखते ही समाज बांहें फैलाए तैयार दिखता है। कुछ लोग यह कहने से गुरेज नहीं करते कि हमने जो कुछ पाया, अपने पुरुषार्थ के बल पर, इस समाज ने हमें क्या दिया? वास्तव में, समाज हमें वही देता है, जो हम उसे देते हैं। सड़क पर लंबे जाम का दोष उन्हें देते हैं, जिन्हें हम जानते भी नहीं। क्या हम नियमों का पूरी तरह पालन कर रहे हैं? इसी तरह, यदि आप शिक्षित हैं, अच्छे पद पर हैं, तो किसी को अनपढ़-गं

    वार कहकर उसकी खिल्ली उड़ाने की बजाय, उसे शिक्षित करने के बारे में सोचना चाहिए। पैसा, प्रतिष्ठा है, तो गरीबी-तंगहाली को कोसने के बजाय इसे मिटाने के लिए आगे आना चाहिए।

    जिंदगी की मुस्कान के लिए

    समाजशास्त्री रितु सारस्वत की मानें तो अपने समाज से असहयोगात्मक रवैया अपनाने का परिणाम घातक है। आइए,

    पहल करें। किसी लाचार को सड़क पार कराने में मदद के लिए आगे आएं। उस बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाएं, खुशी जिससे रूठ गई है। अच्छा लगता है, जब बेटी की शादी में मदद के लिए दूधवाला आपके पास आता है। जिंदगी की मुस्कान छलक जाएगी आपके चेहरे पर, जब आप समाज के कमजोर और वं िचत समझे जाने वाले लोगों का सहारा बनने आगे आएंगे। यही इंसानियत का तकाजा है।

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