Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु अंगद देव जी के 62 श्लोक शामिल हैं

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Wed, 26 Apr 2017 10:27 AM (IST)

    गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु अंगद देव जी के 62 श्लोक शामिल हैं, जो मनुष्य को निष्काम भाव से सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। गुरु अंगद देव प्रकाश पर्व ...

    गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु अंगद देव जी के 62 श्लोक शामिल हैं

    निष्काम कर्म को जीवन में उतारने के अलावा सिख गुरु परंपरा के दूसरे गुरु यानी गुरु अंगद देव ने गुरुमुखी लिपि का भी निर्माण किया। आजकल पंजाबी भाषा इसी लिपि में लिखी जाती है। गुरु अंगद देव जी का जन्म वर्ष 1504 में ‘मत्ते नांगे की सराय’ नामक गांव में हुआ था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आजकल यह गांव पंजाब में नए बने जिले मुक्तसर के अंतर्गत आता है। गुरु जी के पिता का नाम भाई फेरुमल

    जी और माता का नाम बीबी सभराई था। बचपन में उनका नाम ‘लहिणा’ था। परिवार के अन्य लोगों की तरह उन्होंने व्यापार करना आरंभ कर दिया। भाई लहिणा हर वर्ष माता वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए जाया करते थे। 1532 में एक बार इसी तरह वापसी में भाई लहिणा ने करतारपुर साहिब में श्री गुरु नानक देव जी के दर्शन किए। भाई लहिणा गुरु नानक देव जी से इतने प्रभावित हुए कि उसी समय गुरु जी के शिष्य बन गए। 1532 से 1539 तक सात वर्षों तक भाई लहिणा ने बड़े समर्पित भाव से गुरु की सेवा की। बेहद संपन्न परिवार के होने के बावजूद वे लंगर के लिए पानी ढोना, लकड़ी चीरना, पंखा झलना, खेती करना आदि जैसे कार्य करते थे। 

    सिख इतिहास में भाई लहिणा के सेवा कार्य के अनेक प्रसंग प्रसिद्ध हैं। कई उदाहरण हैं, जो भाई लहिणा के निष्काम सेवा भाव को प्रकट करते हैं। इसीलिए ज्योतिजोत समाते समय गुरु नानक देव जी ने भाई लहिणा को गले से लगाया और कहा कि ‘तू मेरे अंग जैसा है, इसलिए तू आज से अंगद कहलाएगा।’ इस प्रकार भाई लहिणा गुरु अंगद देव जी बन गए।

    गुरु जी ने गुरु नानक देव जी द्वारा एकत्र की गई संतों-भक्तों की वाणी को लिखवा कर गुटके और पोथियां तैयार करवाईं। इन्होंने गुरु नानक देव जी की जन्म साखियां भी लिखवाईं और एक प्रकार से सिख इतिहास लेखन परंपरा को जन्म दिया। इन सभी कामों के लिए एक समर्थ लिपि की जरूरत थी, जो गुरुमुखी लिपि के निर्माण से पूरी हुई। गुरुजी ने बच्चों को गुरुमुखी लिपि सिखाने के लिए पाठशालाएं भी खोलीं और बाल-बोध 

    भी तैयार करवाए। गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु अंगद देव जी के 62 श्लोक शामिल हैं, जो मनुष्य को निष्काम भाव से सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। महान निष्काम सेवक, सेवा के साकार रूप गुरु अंगद देव जी वर्ष 1552 में खडूर साहिब में ज्योतिजोत में समा गए।

     रूप कंवल कौर

    comedy show banner
    comedy show banner