Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भूत शुद्धि: कैसे बनाएं इन पांच तत्वों को अपने लिए फायदेमंद

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Fri, 06 Feb 2015 09:36 AM (IST)

    सद्गुरु यौगिक विज्ञान के अनुसार हमारा शरीर और यह सारा अस्तित्व पांच तत्वों से मिलकर बना है। ऐसे में खुद को रूपांतरित करने का मतलब होगा बस इन पांच तत्वों को अपने लिए फायदेमंद बना लेना। आइये जानते हैं ऐसी ही यौगिक प्रक्रियाओं के बारे में

    भूत शुद्धि: कैसे बनाएं इन पांच तत्वों को अपने लिए फायदेमंद

    सद्गुरु

    यौगिक विज्ञान के अनुसार हमारा शरीर और यह सारा अस्तित्व पांच तत्वों से मिलकर बना है। ऐसे में खुद को रूपांतरित करने का मतलब होगा बस इन पांच तत्वों को अपने लिए फायदेमंद बना लेना। आइये जानते हैं ऐसी ही यौगिक प्रक्रियाओं के बारे में

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    योग में, हमने पांच तत्वों से मुक्त होने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया बनाई है, जिसे भूत-शुद्धि कहते हैं। अगर आप इन तत्वों का बखूबी शुद्धीकरण करते हैं, तो आप ऐसी स्थिति को प्राप्त कर लेते हैं जिसे भूत-सिद्धि कहते हैं।

    सद्गुरु-

    भूमि, जल, अग्नि, वायु और आकाश ये पांच तत्व इस शरीर, धरती, और पूरी सृष्टि के आधार हैं। इन्हीं पांच तत्वों से सृजन होता है। अगर ये पांच तत्व एक खास तरह से मिलते हैं, तो कीचड़ बन जाते हैं। अगर थोड़ा अलग तरह से मिलते हैं, तो भोजन बन जाते हैं। अगर वे दूसरी तरह का खेल खेलते हैं, तो वह मानव रूप ले लेते हैं। अगर वे एक अलग तरह का खेल खेलते हैं, तो चैतन्य बन जाते हैं। आप इस सृष्टि में जो कुछ भी देखते हैं, वह बस इन पांच तत्वों की बाजीगरी है।

    कुछ साल पहले, मैं भारत में एक पहाड़ पर गाड़ी चलाते हुए जा रहा था। जब मैं पहाड़ पर पहुंचने वाला था, तो मुझे लगा कि लगभग आधा पहाड़ जल रहा है! वहां कोहरा था और मैंने उस पूरी जगह को आग से घिरे हुए देखा। मैं जानता था कि मेरी कार का ईंधन तुरंत आग पकड़ सकता है, इसलिए आग की ओर नहीं जाना चाहता था, फिर भी सावधानी से गाड़ी चलाता रहा। मैं जितना आगे बढ़ता, आग थोड़ी और दूर नजर आती। फिर मुझे एहसास हुआ कि असल में मैं उन सभी जगहों से गाड़ी चलाते हुए आ चुका हूं, जो पहाड़ की तराई से देखने पर जलते नजर आ रहे थे।

    जब मैं आग की असली जगह पर पहुंचा, तो मैंने देखा कि एक ट्रक खराब पड़ा है, और वहां मौजूद लोगों ने ठंड से बचने के लिए थोड़ी सी आग जलाई हुई है। वह थोड़ी सी आग, कोहरे की वजह से लाखों गुना अधिक लग रही थी और नीचे से ऐसा लग रहा था मानो पूरे पहाड़ में आग लगी हुई हो। उस अदभुत घटना ने मुझे वाकई अचंभित कर दिया। वह बस गरमी के लिए जलाई गई थोड़ी सी आग थी, लेकिन कोहरे का एक-एक कण उसे बढ़ा कर ऐसे दिखा रहा था, कि वह पूरा इलाका आग में जलता हुआ दिख रहा था।

    सृष्टि ऐसी ही है जितनी है उससे कई गुना बड़ी लगती है। जिन लोगों ने करीब से उसे देखा है, उन्हें यह बात समझ आ गई है और वे कहते हैं, बढ़ा-चढ़ा रूप देखने की कोई जरूरत नहीं है। बस जीवन के इस छोटे से अंश को देखिए, जिसे आप 'मैंÓ कहते हैं। बाकी का ब्रह्मांड सिर्फ उन पांच तत्वों का ही बढ़ा-चढ़ा रूप भर है।

    आप जिस वायु में सांस लेते हैं, जो पानी पीते हैं, जो खाना खाते हैं, जिस भूमि पर चलते हैं और अग्नि जो जीवन-ऊर्जा के रूप में काम कर रही है- अगर इन सभी को आप नियंत्रित और केंद्रित रखें, तो आपके लिए स्वास्थ्य, सुख और सफलता सुनिश्चित है।

    योग में, हमने पांच तत्वों से मुक्त होने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया बनाई है, जिसे भूत-शुद्धि कहते हैं। अगर आप इन तत्वों का बखूबी शुद्धीकरण करते हैं, तो आप ऐसी स्थिति को प्राप्त कर लेते हैं जिसे भूत-सिद्धि कहते हैं। योग-प्रणाली में भूत-शुद्धि की इस बुनियादी परंपरा से ही कई दूसरी परंपराएं निकली हैं। दक्षिणी भारत में, लोगों ने इन पांच तत्वों के लिए पांच बड़े मंदिर भी बनाए। ये मंदिर अलग-अलग तरह की साधना के लिए बनाए गए थे। जल तत्व से मुक्त होने के लिए, आप एक खास मंदिर में जाते हैं और एक तरह की साधना करते हैं। वायु से मुक्त होने के लिए, आप दूसरे मंदिर में जाते हैं और दूसरी तरह की साधना करते हैं। इसी तरह, सभी पांच तत्वों के लिए बनाए गए पांच अद्भुत मंदिरों में खास तरह की ऊर्जा स्थापित की गई जो उस किस्म की साधना में मदद करती है। योगी एक मंदिर से दूसरे मंदिर जाया करते थे और साधना करते थे।

    योग की बुनियादी प्रक्रिया का मकसद भूत-सिद्धि की स्थिति हासिल करना है, ताकि जीवन की प्रक्रिया कोई आकस्मिक प्रक्रिया न रहे। हमारी जीवन-प्रक्रिया परिस्थितियों के आगे एक विवशता भर न रहे, बल्कि एक सचेतन प्रक्रिया बन जाए। एक बार ऐसा हो जाने के बाद, खुश और आनंदित रहना स्वाभाविक है और फिर मोक्ष की ओर बढऩा तय है। आप जिस वायु में सांस लेते हैं, जो पानी पीते हैं, जो खाना खाते हैं, जिस भूमि पर चलते हैं और अग्नि जो जीवन-ऊर्जा के रूप में काम कर रही है- अगर इन सभी को आप नियंत्रित और केंद्रित रखें, तो आपके लिए स्वास्थ्य, सुख और सफलता सुनिश्चित है।

    मेरी कोशिश है कि ऐसे कई यंत्र तैयार कर सकूं जो लोगों को इसे साकार करने में मदद करें, लोगों के जीने का ढंग ही पंच-भूत की आराधना बन जाए। यह शरीर, यह भौतिक रूप जिस तरह से यहां मौजूद है, वह पांच तत्वों की आराधना बन जाए। इसे अपने भौतिक सुख के लिए, अपनी सांसारिक कायमाबी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और साथ ही, यह इंसान की परम मुक्ति का एक उत्तम साधन भी हो सकता है।

    साभार: सद्गुरु (ईशा हिंदी ब्लॉग)

    comedy show banner
    comedy show banner