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    Ganga Saptami 2023: गंगा सप्तमी विशेष में पढ़िए मां गंगा से जुड़ी कुछ रोचक बातें

    By Jagran NewsEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Sun, 23 Apr 2023 04:01 PM (IST)

    सनातन धर्म में गंगा सप्तमी पर्व का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन पर मां गंगा की उपासना करने से साधकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं। आइए पढ़ते हैं मां गंगा से जुड़े रोचक तथ्य।

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    Ganga Saptami 2023: पढ़िए गंगा सप्तमी पर विशेष अंक।

    नई दिल्ली, प्रो. मुरलीमनोहर पाठक (कुलपति, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली) | Ganga Saptami 2023: अयोध्या के इक्ष्वाकुवंशीय राजा भगीरथ महाराज सगर के प्रपौत्र तथा महाराज दिलीप के पुत्र थे। उन्होंने अपने पूर्वजों के उद्धार हेतु घोर तपस्या की। राजा भगीरथ ने तपोबल से ऋषित्व को प्राप्त किया था। अतएव वे राजर्षि भगीरथ नाम से विख्यात हैं। राजर्षि भगीरथ के विषय में महर्षि वाल्मीकि ने वाल्मीकि रामायण में महर्षि विश्वामित्र द्वारा श्री राम एवं लक्ष्मण का मार्गदर्शन किए जाने के वृत्तांत को कहते हुए लिखा है :

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    भगीरथस्तु राजर्षिर्धर्मिको रघुनन्दन।

    अनपत्यो महाराजः प्रजाकामः स च प्रजाः।। (1.42.11)

    मन्त्रिष्वाधाय तद् राज्यं गंगावतरणे रतः।

    तपो दीर्घं समातिष्ठद् गोकर्णे रघुनन्दन ।। (1.42.12)

    इस प्रकार महाराज भगीरथ घोर ने तपस्या द्वारा ब्रह्माजी के कमंडल में संस्थित परमपावनी पुण्यसलिला मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का जो असाध्य तप किया था, उस तपबल के प्रभाव से मां गंगा ब्रह्माजी के कमंडल से निकली थीं। उनका स्वरूप इतना भयंकर था कि समस्त ब्रह्मांड को अपने जल में समाहित कर लेतीं, तब भगवान शिव ने अपनी जटा में मां गंगा को धरण किया। तत्पश्चात शिव की जटा से निकलकर वैशाख शुक्ल तृतीया को मां गंगा पृथ्वी पर अवतीर्ण हुई थीं।

    जब गंगा अपने प्रबल वेगयुत्तफ प्रवाह से स्वर्ग से चलती हुई इस धरा पर आईं, तब वह गंगा नाम से प्रसिद्ध हुईं। वाल्मीकि रामायण में लिखते हैं : गगनाद् गां गता तदा (1.43.18) अर्थात आकाश मंडल से जो पृथ्वी को चली गईं, वह गंगा हैं। वाराहपुराण के 82वें अध्याय में भी गां गता ऐसा प्रयोग किया गया है।

    गंगा ने पृथ्वी पर आकर कुरुवंशोद्भव राजा सुहोत्रा के पुत्रा राजर्षि जह्नु की यज्ञभूमि को अपने जल से निमग्न कर डुबो दिया। जह्नु ने क्रुद्ध होकर गंगा के समस्त जल को पी लिया। वैशाख शुक्ल सप्तमी को जह्नु ने अपने दाहिने कान से गंगा को पुनः प्रकट किया। इसलिए वैशाख शुक्ल सप्तमी को गंगावतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

    वैशाखशुक्ल सप्तम्यां जाह्नवी जह्नुना पुरा।

    क्रोधात् पीता पुनस्त्यक्ता कर्णरन्ध्रात्तु दक्षिणात्। (श्रीहरिभत्तिविलास-14 विलास)

    ततो हि यजमानस्य जह्नोरद्भुतकर्मणः।।

    गंगा सम्प्लावयामास यज्ञवाटं महात्मनः।

    तस्यावलेपनं ज्ञात्वा क्रुद्धो जह्नुश्च राघव।।

    अपिबत् तु जलं सर्वं गंगाया: परमाद्भुतम्।

    ततस्तुष्टो महातेजाः श्रोत्राभ्यामसृजत्प्रभुः।

    तस्माज्जह्नुसुता गंगा प्रोच्यते जाह्नवीति च।। (वा.रा.1.43.33-38)

    राजर्षि जह्नु द्वारा गंगा को पी लेने के बाद सभी देवर्षि एवं विशेषकर भगीरथ ने विविध उपायों द्वारा जह्नु ऋषि के क्रोध को शांत किया। तब जह्नु ने प्रसन्न होकर गंगा को अपने कानों के द्वारा बाहर निकलने की स्वीकृति दी। इसीलिए गंगा जह्नु की पुत्री समझी गई और उन्हें जाह्नवी, जह्नु कन्या, जह्नुतनया, जह्नुनंदिनी या जह्नुसुता आदि नामों से पुकारा गया।

    कुछ पुराणों में गंगा की तीन धराओं का उल्लेख मिलता है-स्वर्गगंगा (मन्दाकिनी), भूगंगा (भागीरथी) और पातालगंगा (भोगवती)। पुराणों में भगवान विष्णु के बायें चरण के अंगूठे के नख से गंगा का जन्म और भगवान शंकर की जटाओं में उसका विलय बताया गया है।

    हिमालय से गंगा के अवतरण का संबंध ज्येष्ठशुक्लदशमी (गंगा दशहरा) को कहा गया है। इसको दशहरा इसलिए कहते हैं कि इस दिन गंगास्नान दस पापों को हरता है। दस पापों में तीन मानसिक, तीन वाचिक और चार कायिक हैं। विष्णुपुराण (2.8.120-121) में लिखा है कि गंगा का नाम लेने, सुनने, उसे देखने, उसका जल पीने, स्पर्श करने, उसमें स्नान करने या सौ योजन दूर से भी गंगा नाम स्मरण करने; उच्चारण करने मात्रा से मनुष्य के तीन जन्मों तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। भविष्य पुराण में गंगा के निम्न रूपों का ध्यान करने का विधान है :

    सितमकरनिषण्णां शुक्लवर्णां त्रिनेत्रां,

    करधृतकमलोद्यत्सूत्पलाभीत्यभीष्टाम्।

    विधिहरिहररूपां सेन्दुकोटीरचूडां,

    कलितसितदुकूलां जाह्नवी तां नमामि।।

    इस प्रकार से गंगा सप्तमी के महत्व को जानकर गंगा तट पर स्थित हरिद्वार, प्रयागादि विविध् तीर्थ स्थलों में जाकर, पर्व दिनों में गंगास्नान कर अनेकविध पुण्य प्राप्त किया जा सकता है।