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    मानव जीवन में उद्देश्य के बगैर सब कुछ व्यर्थ है

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Sat, 24 Sep 2016 10:51 AM (IST)

    समाज में विद्या को सभी धनों में सर्वक्षेष्ठ माना गया इसलिए मनुष्य को इसे अपने जीवन का उद्देश्य बनाकर लोगों को शिक्षित करना चाहिए।

    मानव जीवन में उद्देश्य के बगैर सब कुछ व्यर्थ है

    मानव जीवन में उद्देश्य के बगैर सब कुछ व्यर्थ है। जरा सोचिए कि किसी सुबह आप बिना उद्देश्य के अपने घर से निकल गए तो दिनभर आपकी क्या हालत होगी? आप यहां-वहां भटकेंगे और अंत में जब अपने घर लौटेंगे तो आपको अपने ऊपर गुस्सा आएगा कि आज आपने अपना पूरा दिन बर्बाद कर दिया। इसी तरह अगर हमारे जीवन का कोई उद्देश्य न हो तो जीवन संध्या में हमें महसूस होगा कि हमने अपना पूरा जीवन यूं ही व्यर्थ गवां दिया। हर दिन की तरह हमें अपने जीवन का उद्देश्य भी तय करना होता है। हमारे जीवन का उद्देश्य ही हमें बताता है कि कौन-सा काम हमारे लिए जरूरी है और कौन-सा व्यर्थ। उद्देश्य स्पष्ट होने पर न केवल हम अपना समय बचाते हैं, बल्कि अपने लक्ष्य तक भी बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं। मानव जीवन में उद्देश्य के बिना किया गया कर्म, कर्म नहीं होता है। इसलिए कर्म करने से पूर्व हमें अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारित करना होता है।
    सवाल यह है कि जीवन का उद्देश्य क्या होना चाहिए? निश्चित तौर पर आज के भौतिक युग में ज्यादातर लोग इसका जवाब पैसा, गाड़ी, बंगला इत्यादि बताएंगे। भौतिक चीजों से हमारा जीवन थोड़ा आसान जरूर हो सकता है, लेकिन सिर्फ इन वस्तुओं को प्राप्त करना ही किसी व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य नहीं हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि भौतिक चीजों से हमें खुशी जरूर मिलती है, लेकिन यह वास्तिवक खुशी नहीं होती है। मसलन पैसे से आप बंगला खरीद सकते हैं, लेकिन नींद नहीं। स्वयं से कमाकर दूसरों को खिलाने को मानव की संस्कृति है। मानव को जीवन भर इसी संस्कृति का निर्वाह करना होता है और यही मानव जीवन का उद्देश्य भी होना चाहिए कि जो चीज भी उसके पास है, वह उसे दूसरों को बांटे। मनुष्य ने आज इतनी तरक्की कर ली तो इसका मुख्य कारण यही है कि मानव ने अपने अनुभव से जो कुछ सीखा, उसे उसने अपनी अगली पीढ़ी के साथ बांटा, जिससे अगली पीढ़ी को वह सीखने में कम समय लगा और शेष बचे हुए समय में उसने कुछ और नया सीखा। हमारे समाज में विद्या को सभी धनों में सर्वक्षेष्ठ इसीलिए माना गया है, क्योंकि इसे प्राप्त करने पर मनुष्य को सुख की अनुभूति होती है और जब वह इसे दूसरों को बांटता है तो उसे और अधिक खुशी प्राप्त होती है। इसलिए मनुष्य को इसे अपने जीवन का उद्देश्य बनाकर अधिक से अधिक लोगों को शिक्षित करना चाहिए।

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