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    दुर्गा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है सबसे शक्तिशाली

    मां दुर्गा, की आराधना का पर्व नवरात्र इन दिनों भारतवर्ष में धूम-धाम से मनाया जा रहा है। इन नौ दिनों में शक्ति की आराधना, भक्ति से करने पर मां के भक्तों को मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के बाद दशहरा आता है।

    By Preeti jhaEdited By: Updated: Tue, 20 Oct 2015 01:07 PM (IST)

    मां दुर्गा, की आराधना का पर्व नवरात्र इन दिनों भारतवर्ष में धूम-धाम से मनाया जा रहा है। इन नौ दिनों में शक्ति की आराधना, भक्ति से करने पर मां के भक्तों को मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के बाद दशहरा आता है। दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दशहरा, भगवान श्रीराम द्वारा लंकापति रावण की जीत का प्रतीक है। इस दिन रावण के साथ मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं।

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    मां दुर्गा का स्वरूप तीनों लोकों में अलौकिक है। दुर्गा रूप में मां सकारात्मक ऊर्जा वायुमंडल में प्रवाहित करती हैं। वह शक्ति ( नारी शक्ति/ ऊर्जा) का प्रतीक हैं। मां दुर्गा ने इस पृथ्वी से नकारात्मक ऊर्जा यानी दानवों का संहार किया। मां दुर्गा को आदि शक्ति कहा जाता है, त्रिदेवियां (देवी पार्वती, देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती) भी मां आदिशक्ति का ही रूप हैं।

    मान्यता है कि जब मां दुर्गा महिषासुर जैसे भयानक दानव से युद्ध करने जा रही थीं, तब त्रिदेवों के साथ देवताओं ने भी उन्हें अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे। ये सभी शस्त्र अपने आप में दुर्लभ थे। तब मां ने इन्हीं शस्त्रों की सहायता से इस दैत्य का संहार किया।

    दरअसल दुर्गा, एक संस्कृत शब्द है। जिसका अर्थ होता है सबसे शक्तिशाली। इसलिए मां दुर्गा सभी देवी-देवताओं में शक्तिशाली और शक्ति की देवी मानी गई हैं। मां दुर्गा का नाम मात्र लेने से नकारात्मक शक्तिया और दोष- अहंकार, ईर्ष्या, पूर्वाग्रह, घृणा, क्रोध, लालच और स्वार्थ भाग जाते हैं। वेबसाइट इंडिया करंट्स में सत्या कालरा लिखते हैं, 'मां दुर्गा के आठ हाथ हैं जिनमें आठ तरह तरह के शस्त्र हैं। हर शस्त्र और हाथों की मुद्राएं जिंदगी के लिए कुछ न कुछ सीख देतीं है।'

    1. दुर्गा के ऊपरी और दाएं हाथ में चक्र है। यह धर्म चक्र है। यह हमें अपने कर्तव्य और जिंदगी की जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से पूरा करने की सीख देता है।
    2. मां दुर्गा के ऊपरी बाएं हाथ में शंख है। यह चिन्ह कहता है कि हमें संतोष के साथ खुशी और हंसमुख रहते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
    3. मां दुर्गा की तलवार उन्मूलन का प्रतीक है। हमें भेदभाव और हमारे बुरे गुणों दूर करना चाहिए।
    4. निचले हाथ में मां दुर्गा धनुष और तीर लिए हैं। यह चिन्ह हमें सीख देता है कि भगवान राम की तरह हमारा चरित्र होना चाहिए। जीवन कितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन हमें अपना धैर्य और चरित्र( मान-सम्मान) नहीं खोना चाहिए।
    5. मां दुर्गा के हाथ में कमल का होना प्रतीक है कि हम बाहरी दुनिया में मोह-माया रहित होकर जीवन जीना चाहिए। जैसे कमल, दलदल में खिलकर भी मुस्कुराता है। ठीक उसी तरह इस दलदल रूपी और तमाम विकारों से भरे संसार में अपनी मुस्कान नहीं खोना चाहिए।
    6. मां दुर्गा के हाथ में गदा, हनुमान जी जैसी शक्ति का प्रतीक है। हनुमानजी भक्ति और समर्पण का प्रतीक माने जाते हैं। इसीलिए हमें भी अपने जीवन में भक्ति और समर्पण का भाव रखना चाहिए। भक्ति और सर्वशक्तिमान की इच्छा के रूप में परिणाम स्वीकार करते हैं।
    7. मां दुर्गा के हाथ में त्रिशूल है। त्रिशूल साहस का प्रतीक है। त्रिशूल सीख देता है कि हम हमारे नकारात्मक गुणों का संहार कर जीवन में चुनौतियों का सामना करें। सफलता हमारे कदमों में होगी।
    8. मां दुर्गा के एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में होता है। इसका अर्थ है हमें अपनी और दूसरों की गलतियों को माफ कर जिंदगी में आगे बड़ जाना चाहिए।
    मां दुर्गा को शेर की सवारी करते हुए दिखाया गया है। वह इसलिए कि मां शक्ति हैं। और बाघ/ शेर असीमित शक्ति का प्रतीक है। वह जंगल का राजा है। यानि शक्ति सिर्फ असमित शक्ति के सानिध्य में ही रह सकती हैं।

    शेर के पर भी मां दुर्गा को बैठे हुए प्रतीकात्मक रूप में दिखाया जाता है। शेर दरअसल क्रोध, अहंकार, स्वार्थ के रूप में अनियंत्रित पाशविक प्रवृत्तियों को नष्ट करने का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि हम अपनी अच्छाईयों को नियंत्रित कर नकारात्मक शक्तियों( लालच, ईर्ष्या, इच्छा, आदि अन्य) का संहार करें।

    मां दुर्गा अमूमन लाल साडी पहनती हैं। लाल रंग लाल कार्रवाई का प्रतीक है और लाल कपड़े बुराई को नष्ट करने के प्रतीक हैं। मानव जाति की रक्षा और उन्हें दानवों से बचाने के लिए मां हमेशा तत्पर रहती हैं। मां के पास सकारात्मक ऊर्जा का स्त्रोत है, जिससे वह नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं।

    मां दुर्गा स्त्री में शक्ति का प्रतीक हैं। वह रचनात्मकता की मूर्ति हैं। उनके चेहरे की आभा से निकलता शुद्ध प्रकाश सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। मां की आराधना और उपासना जो भी भक्त करता है। वह अपने जीवन में हमेशा विजयश्री हासिल करता है।