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    बचपन से ही नाड़ी तंत्र का ज्ञान था मां निर्मला को

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    Updated: Sat, 06 Apr 2013 01:25 PM (IST)

    श्री माताजी का जन्म 21 मार्च 1923 को छिंदवाडा, मध्य प्रदेश में एक ईसाई परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री प्रसादराव साल्वे और माता का नाम श्रीमती कोर्नेलिया साल्वे था। वे शालिवाहन राजवंश से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित थे।श्री माताजी को जन्म से ही मनुष्य के सम्पूर्ण नाड़ी तंत्र का ज्ञान था।

    श्री माताजी का जन्म 21 मार्च 1923 को छिंदवाडा, मध्य प्रदेश में एक ईसाई परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री प्रसादराव साल्वे और माता का नाम श्रीमती कोर्नेलिया साल्वे था। वे शालिवाहन राजवंश से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित थे।श्री माताजी को जन्म से ही मनुष्य के सम्पूर्ण नाड़ी तंत्र का ज्ञान था।

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    श्री माताजी के जन्म के समय उनके निष्कलंक रूप को देखकर उन्हें निर्मला नाम दिया, जिसका अर्थ होता है बिना किसी दोष के अर्थात निर्दोष। बाद के वेर्शो में वे अपने अनुयायियों द्वारा श्री माताजी निर्मला देवी नाम से प्रसिद्ध हुई।

    पूज्यनीय मां अपने पूर्ण आत्मसाक्षात्कार रूप में इस पृथ्वी में आई है ये उन्हें बहुत कम आयु में ही पता चल गया था। वे पूरी मानव जाती के लिए एक नायाब तोहफा आत्मसाक्षात्कार के रूप में लेकर आई हैं। उनके अभिभावकों ने भारत के स्वतंत्रता अभियान में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उनके पिता के महात्मा गांधी के साथ नजदीकी सम्बन्ध थे। वे स्वयं भी भारत के संविधान सभा के सदस्य थे उन्होंने स्वतंत्र भारत के प्रथम संविधान को लिखने में मदद की थी। उन्हें 14 भाषाओं का ज्ञान था। उन्होंने कुरान का मराठी अनुवाद किया था। श्री माताजी की माता प्रथम भारतीय महिला थी जिन्हें गणित में स्नातक की उपाधि प्राप्त हुई।

    श्री माताजी को जन्म से ही मनुष्य के सम्पूर्ण नाड़ी तंत्र का ज्ञान था। वे इसके उर्जा केन्द्रों के बारे में भी जानती थी। परन्तु इस सम्पूर्ण ज्ञान को वैज्ञानिक आधार देने हेतु तथा विज्ञान की शब्दकोष को जानने हेतु उन्होंने क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, लाहौर से दावा एवं मनोविज्ञान की पढ़ाई की।

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