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    क्रोध रहित मन सफल जीवन...

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Fri, 03 Apr 2015 10:59 AM (IST)

    किसी को कम, तो किसी को ज्यादा क्रोध आता है। क्रोध हमारे काम तो बिगाड़ता ही है, संबंधों को भी खराब करता है। सुख-शांति के साथ कामयाबी की डगर पर आगे बढ़ने के लिए क्रोध पर काबू पाने का अभ्यास करना होगा... एक ऐसा भाव है, जिसके वशीभूत होने पर

    क्रोध रहित मन सफल जीवन...

    किसी को कम, तो किसी को ज्यादा क्रोध आता है। क्रोध हमारे काम तो बिगाड़ता ही है, संबंधों को भी खराब करता है। सुख-शांति के साथ कामयाबी की डगर पर आगे बढ़ने के लिए क्रोध पर काबू पाने का अभ्यास करना होगा...

    एक ऐसा भाव है, जिसके वशीभूत होने पर आपके व्यवहार से किसी के हृदय को चोट पहुंच सकती है। हमें जिस क्रोध का एहसास होता है, वह हमारा अपना होता है, दूसरों का नहीं। इसलिए दूसरे जब तक बुरे बर्ताव का शिकार बनें, उससे पहले ही हमें तय करना होगा कि क्रोध को किस तरह नियंत्रित करें।

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    कोई भी इंसान आनुवंशिक रूप से क्रोधी नहीं होता, सिर्फ कुछ क्षणों के लिए गुस्सा उसे घेर लेता है। साउथ अफ्रीका के एबी डिविलियर्स विश्व के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में से एक हैं। उनकी पहचान सौम्य व मृदुभाषी खिलाड़ी की है। लेकिन हाल के वल्र्ड कप के एक मैच में जब उनकी टीम पाकिस्तान के हाथों परास्त हो गई, तो वे पूरी दुनिया की मीडिया के सामने अपनी टीम पर बिफर पड़े। बाद में उनके देश के ही एक पत्रकार ने ट्विटर पर लिखा, 'मैंने कभी डिविलियर्स का यह रूप नहीं देखा था। यह संभव है कि निराशाजनक अनुभव से क्रोध का जन्म होता है। लेकिन हम किसी स्थिति, व्यक्ति या परिस्थिति को नियंत्रित नहीं कर सकते। सही यही होगा कि मौन रहकर क्रोध को ठंडा होने दें।

    खुद पर नियंत्रण

    समर्थ तलवार अपने परिवार के साथ तीर्थाटन पर निकले थे। अचानक गाड़ी फिसलते-फिसलते ठहर गई। नीचे उतरने पर पता चला कि एक कील ने पहिये को पंक्चर कर दिया है। समर्थ के सामने दो विकल्प थे। या तो क्रोध में आकर दूसरों पर बरसने लगते या फिर किसी मैकेनिक को बुलाकर गाड़ी ठीक करने का इंतजाम करते। उन्होंने दूसरा रास्ता चुना। अपना संयम बनाए रखा। यह हम पर ही निर्भर करता है कि हम किसी स्थिति में किस

    तरह पेश आएं। इसलिए जब भी गुस्सा आए, तो यह देखने की चेष्टा करें कि आप दूसरों को स्वयं का कैसा व्यवहार दिखाना चाहते हैं?

    खिलाड़ी जब मैदान में उतरता है, तो उसे मालूम होता है कि अगर वह मैच के दौरान प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी या रेफरी से

    गुस्से में उलझता है, तो उस पर पाबंदी लग सकती है। फिर भी वह ऐसा करता है। अगर आप विचार करें, तो पाएंगे कि क्रोध मन में असंतुलन उत्पन्न करता है, जिसके प्रभाव में आकर मनुष्य लड़ाई- झगड़ा, मार-पीट करता है या फिर कोई ऐसा गलत निर्णय ले लेता है, जिस पर आगे चलकर उसे पछताना पड़ता है।

    सेहत पर असर

    क्रोध किसी भी रिश्ते को बदरंग कर सकता है। अक्सर लोग सोशल साइट्स पर गुस्से से लबरेज पोस्ट या कमेंट कर देते हैं। जब तक उन्हें ग्लानि होती है, तब तक वे शब्द किसी के दिल को छलनी कर चुके होते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया और कुछ अन्य यूनिवर्सिटीज के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि ट्विटर पर गुस्से में होने वाली प्रतिक्रियाएं हृदय रोग को बढ़ावा देती हैं। मार्क ट्वेन ने भी कहा है, 'क्रोध एक एसिड की तरह है, जो उस बर्तन

    (सांचे) को अधिक नुकसान पहुंचाता है, जिसमें वह रहता है, न कि जिस पर वह गुस्सा उतरता है।Ó वहीं, स्टीफन हॉकिंग कहते हैं, 'लोगों के पास आपके लिए वक्त नहीं होगा, अगर आप हमेशा क्रोध या शिकायतों से भरे होंगे।Ó

    क्रोध का त्याग

    गुरु द्रोणाचार्य के पास अनेक राजकुमार विद्या प्राप्त करने के लिए आते थे। उनमें पांडव पुत्र युधिष्ठिर भी थे। गुरुकुल में उनकी पहली पुस्तक का पहला पाठ था, 'मनुष्य को क्रोध का त्याग कर देना चाहिए, क्योंकि वह ऐसा दुष्ट है, जो स्वयं अपनी माता का भक्षण कर जाता है। युधिष्ठिर का मन इस वाक्य पर टिक गया। उन्होंने प्रण लिया कि चाहे प्राण चले जाएं, लेकिन क्रोध नहीं करेंगे। जब परीक्षा की घड़ी आई, तो परीक्षक के किसी भी प्रश्न का उत्तर देने में युधिष्ठिर असफल रहे। कहा, 'मुझे तो सिर्फ पहला ही पाठ याद है। परीक्षक ने क्रोध में युधिष्ठिर की पिटाई शुरू कर दी। युधिष्ठिर के चेहरे पर रंच मात्र भी क्रोध नहीं आया। तभी द्रोणाचार्य आए। उन्होंने परीक्षक से कहा कि युधिष्ठिर

    ने पहले पाठ को अपने आचरण में उतार लिया है। क्रोध को पूरी तरह से त्याग दिया। परीक्षक का सिर लज्जा से झुक गया। उन्होंने युधिष्ठिर से माफी मांगी। साधना से छुटकारा किसी संत ने कहा है, 'जब मानव के भीतर

    शांति होगी, तभी उसे क्रोध से छुटकारा मिल सकता है।Ó एलेक्जेंडर द ग्रेट जब भारत से ग्रीस लौट रहा था, तो उसे एक योगी को साथ लाने को कहा गया। काफी तलाशने के बाद उसे एक पेड़ के नीचे साधना में लीन एक योगी मिले। योगी ने आंखें खोलीं, तो एलेक्जेंडर ने अपने साथ ग्रीस चलने को कहा। योगी ने साथ चलने से इनकार कर दिया। एलेक्जेंडर ने क्रोधित होकर उन पर तलवार तान दी। लेकिन योगी मुस्कुराते रहे। एलेक्जेंडर तलवार झुकाने पर विवश हो गया। अंतत:उसे पूछना पड़ा, 'क्या उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा। योगी ने कहा, 'मैंने साधना से क्रोध पर विजय प्राप्त कर ली है। वह मेरा दास बन चुका है, जबकि तुम आज भी उसके दास हो। ब्रšाकुमारी सिस्टर शिवानी कहती हैं, 'क्रोध को जीतने के लिए लोगों को क्षमा करने की आदत डालनी चाहिए।

    इससे मानसिक तनाव कम होता है।