जीवन-दृष्टि देते दर्शन
दर्शन का अर्थ है देखना। जिस विद्या से मनुष्य को जीवन-दृष्टि मिल जाए, वही दर्शन है। पश्चिमी दर्शन जहां मात्र भौतिक चिंतन तक सीमित है, वहीं भारतीय दर्शन व्यक्ति को चिंतन की गहराई देने के साथ इसे जीवन में उतारना भी सिखाता है। वेदों को मानने वाले भारतीय दर्शन छह हैं :
दर्शन का अर्थ है देखना। जिस विद्या से मनुष्य को जीवन-दृष्टि मिल जाए, वही दर्शन है। पश्चिमी दर्शन जहां मात्र भौतिक चिंतन तक सीमित है, वहीं भारतीय दर्शन व्यक्ति को चिंतन की गहराई देने के साथ इसे जीवन में उतारना भी सिखाता है। वेदों को मानने वाले भारतीय दर्शन छह हैं :
न्याय दर्शन : न्याय दर्शन के प्रवर्तक गौतम ऋषि हैं। इसके अनुसार, जिन वस्तुओं की सत्ता है, वे जानी जा सकती हैं। इसमें परम तत्व पाने के लिए प्रमाणों द्वारा तर्क की विधि समझाई गई है।
वैशेषिक दर्शन : वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक कणाद मुनि थे। इनके अनुसार, अग्नि और पृथ्वी के परमाणुओं एवं परमात्मा के ध्यान से जगत की उत्पत्ति हुई है। इसके अनुसार, ज्ञान के चार साधन हैं- प्रत्यक्ष, अनुमान, स्मृति और आर्षज्ञान।
सांख्य दर्शन : इसके अनुसार, सृष्टि दो तत्वों से मिलकर बनी है- प्रकृति और पुरुष, जो एक-दूसरे के पूरक हैं। कपिल मुनि का यह दर्शन मनोवैज्ञानिक है।
योग दर्शन : इस दर्शन में पातंजलि मुनि ने जीवन का लक्ष्य पाने के लिए अभ्यास और वैराग्य को आवश्यक बताया है। उनके अष्टांग योग के अंग हैं - यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि।
पूर्व मीमांसा दर्शन : इसमें जैमिनी ऋषि ने वैदिक कर्मकांड का शास्त्रीय रूप से प्रतिपादन किया है।
उत्तर मीमांसा दर्शन : ब्रšा को प्राप्त करने के लिए ज्ञान मार्ग की विधि बताई गई है।
(साभार : देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार)
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