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    Yogini Ekadashi 2025: योगिनी एकादशी पर करें इस कथा का पाठ, होगी शुभ फलों की प्राप्ति

    Updated: Sat, 21 Jun 2025 06:30 AM (IST)

    योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2025) का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका सनातन धर्म में बहुत महत्व है। इस दिन व्रत रखने और कथा सुनने से विशेष फल मिलता है। इस साल योगिनी एकादशी का व्रत आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून 2025 यानी आज रखा जा रहा है।

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    Yogini Ekadashi 2025: योगिनी एकादशी की कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। योगिनी एकादशी का व्रत सनातन धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। एक साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती हैं। वहीं, एक महीने में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो एकादशी आती हैं। इस साल योगिनी एकादशी का व्रत आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून, 2025 यानी आज रखा जा रहा है।

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    वहीं, आप इस व्रत का पालन कर रहे हैं, तो इसकी कथा (Yogini Ekadashi 2025) का पाठ जरूर करें, क्योंकि इसके बिना एकादशी व्रत अधूरा माना जाता है, तो आइए यहां पढ़ते हैं।

    योगिनी एकादशी की कथा (Yogini Ekadashi 2025 Katha)

    प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वर्ग लोक में कुबेर नाम का राजा रहता था, जो शिव जी का बहुत बड़ा भक्त था। रोजाना वो शिव जी की पूजा करता था। एक दिन उसका हेम नाम का माली था, जो उसके लिए रोज फूल-माला लाता था। माली की पत्नी का नाम विशालाक्षी था। वह बेहद सुंदर थी। एक बार जब सुबह माली मानसरोवर से फूल तोड़कर लाया, लेकिन कामासक्त होने की वजह से वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद करने लगा। राजा को पूजा करने में देरी हो गई, जिसकी वजह से वह क्रोधित हुआ। ऐसे में राजा ने माली को श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि तुमने ईश्वर की भक्ति से ज्यादा कामासक्ति को प्राथमिकता दी है, तुम्हारा स्वर्ग से पतन होगा और तुम धरती पर स्त्री वियोग और कुष्ठ रोग का सामना करोगे।

    इसके बाद वह धरती पर आ गिरा, जिसकी वजह से उसे कुष्ठ रोग हो गया और उसकी स्त्री भी चली गई। वह कई वर्षों तक धरती पर कष्टों का सामना करता रहा। एक बार माली को मार्कण्डेय ऋषि के दर्शन हुए। तब उसने अपने जीवन की सभी परेशानियों को बताया। ऋषि माली को बातों को सुनकर आश्चर्य हुआ। ऐसे में मार्कण्डेय ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी के व्रत (Yogini Ekadashi Vrat Katha Path) के महत्व के बारे में बताया।

    मार्कण्डेय ने कहा कि इस व्रत को करने से तुम्हारे जीवन के सभी पाप खत्म हो जाएंगे और तुम्हे दोबारा से स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो जाएगी। माली ने ठीक वैसा ही किया जैसा कि ऋषि ने बताया था। इसके बाद भगवान विष्णु ने उसके समस्त पापों को क्षमा करके उसे दोबारा से स्वर्ग लोक में स्थान दिया।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।