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    Yashoda Jayanti 2024: आज मनाई जा रही है यशोदा जयंती, यहां जानिए पूजन नियम

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Fri, 01 Mar 2024 09:23 AM (IST)

    यशोदा जयंती (Yashoda Jayanti 2024) का दिन बेहद ही शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। यह पर्व हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह आज मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और मां यशोदा से अपनी संतान की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। तो चलिए इस दिन से जुड़ी कुछ बातों को जानते हैं -

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    Yashoda Jayanti 2024: यशोदा मां से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Yashoda Jayanti 2024: माताओं के लिए यशोदा जयंती का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन महिलाएं कृष्ण जैसी संतान और उनकी सुरक्षा के लिए भगवान कृष्ण की माता यशोदा के लिए उपवास रखती हैं। साथ ही मंदिर या फिर घर पर उनकी विधिपूर्वक पूजा करती हैं। यशोदा जयंती हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है।

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    इस साल यह 1 मार्च यानी आज शुक्रवार के दिन मनाई जा रही है। आइए इस विशेष दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

    यशोदा मां से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

    यशोदा माता वे हैं, जिन्होंने भगवान कृष्ण को जन्म नहीं दिया लेकिन उन्हें बड़े प्यार और स्नेह से पाला था। श्री कृष्ण का जन्म उनके मामा मथुरा के राजा कंस की जेल में माता देवकी के गर्भ से हुआ था, जन्म के कुछ ही समय बाद उनके माता-पिता की बेड़ियां अपने आप खुल गईं और सभी पहरेदार सो गए थे, जिसका लाभ श्री कृष्ण के पिता श्री वासुदेव जी ने उठाया और अपने नवजात पुत्र को नंद बाबा के पास छोड़ आएं।

    ताकि वह सुरक्षित रहें और उनका पालन-पोषण अच्छे से हो सके। माता देवकी के पुत्र होने के बावजूद भगवान श्री कृष्ण को मां यशोदा के पुत्र के रूप में जाना जाता है।

    यशोदा जयंती पूजन नियम

    • सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
    • एक लकड़ी की चौकी पर भगवान कृष्ण और मां यशोदा की प्रतिमा स्थापित करें।
    • पंचामृत से स्नान करवाएं।
    • पीले फूलों की माला अर्पित करें।
    • कुमकुम और गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
    • माखन-मिश्री और फल मिठाई का भोग लगाएं।
    • भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप करें।
    • माता यशोदा का ध्यान करें।
    • आरती से पूजा को पूर्ण करें।
    • अंत में शंखनाद करें।
    • पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
    • अगले दिन सुबह प्रसाद से अपने व्रत का पारण करें।

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