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    Yagya Benefits: जीवन में जरूर करने चाहिए ये 5 यज्ञ, जानिए हिंदू धर्म में इसका महत्व

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Sat, 18 Nov 2023 11:29 AM (IST)

    Yagya Benefits सनातन धर्म में यज्ञ को एक बेहद ही प्राचीन और पवित्र वैदिक अनुष्ठान माना गया है। यज्ञ करने की प्रथा शास्त्रों में निहित है। यह पवित्रता के साथ-साथ वातावरण में शांति भी बनाए रखता है। धर्म शास्त्रों में यज्ञ की महिमा और इसके प्रकार के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं यज्ञ का महत्व और इसके प्रकार।

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    Yagya Benefits जानिए हिंदू धर्म में यज्ञ का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Yagya Importance: सनातन धर्म में यज्ञ विभिन्न अवसरों पर किया जाता है, जैसे बच्चे के जन्म, त्योहारों, गृह प्रवेश करते समय या फिर किसी भी मांगलिक कार्य के दौरान। माना जाता है कि ऐसा करने से ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्यक्ति के कार्य में कोई बाधा नहीं आती। शास्त्रों में व्यक्ति के लिए कुछ ऐसे यज्ञ बताए गए हैं जो उसे जीवन में जरूर करने चाहिए। 

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    यज्ञ का महत्व (Yagya Significance)

    धर्म ग्रंथों के अनुसार यज्ञ के बहुत ही पवित्र अनुष्ठान माना गया है। यज्ञ द्वारा सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने और उस स्थान को शुद्ध करने के लिए मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। धार्मिक दृष्टि से तो यज्ञ का महत्व है ही। यज्ञ की अग्नि, अग्नि देव का प्रतिनिधित्व करती है। यज्ञ के दौरान एक लय में मंत्रो का जाप किया जाता है और इसके माध्यम से उत्पन्न हुए कंपन से, एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण निर्मित होता है, जो साधक की आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है। इतना ही नहीं, यज्ञ में भाग लेने वाले लोग खुद को ईश्वर के करीब पाते हैं।

    कितने प्रकार के होते हैं यज्ञ (Types of Yagya)

    वेदों में लगभग 400 प्रकार के अनुष्ठानों का वर्णन मिलता है। इनमें से केवल 21 को अनिवार्य माना गया है और उन्हें 'नित्यकर्म' कहा गया है। बाकी 'काम्य कर्म' हैं, जो इच्छाओं की पूर्ति के लिए किए जाते हैं। प्राचीन काल में राजा-महाराजा और शासक आदि नियमित रूप से अश्वमेध और राजसूय यज्ञ करते थे, क्योंकि यह माना जाता था कि इन यज्ञों को करने से शासक और उसके साम्राज्य को उन्नति प्राप्त होती है।

    जरूर करने चाहिए ये पांच यज्ञ

    माना जाता है कि सनातन धर्म के प्रत्येक अनुयायी को 'पंच महायज्ञ' अवश्य करने चाहिए। जो इस प्रकार हैं -

    1. 'ऋषि यज्ञ' - इस यज्ञ में ऋषियों द्वारा लिखे गए ग्रंथों का अध्ययन करके उन्हें सम्मानित किया जाता है।

    2.  'देव यज्ञ' - इस यज्ञ में पवित्र अग्नि में आहुति देकर दिव्य देवताओं की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

    3.  'पितृ यज्ञ' - यह यज्ञ पूर्वजों को आदरपूर्वक तर्पण के साथ श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाता है।

    4.  'अतिथि यज्ञ' - इस यज्ञ के अनुसार मेहमानों या आगंतुकों को कभी भी अपने घर से भूखा या संकट में नहीं जाने देना चाहिए।

    5.  'भूत यज्ञ' - शास्त्रों में निहित यह यज्ञ जानवरों, विशेषकर गायों और पक्षियों की देखभाल के लिए समर्पित है।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'