सफलता आैर शांति के लिए के लिए स्कंद षष्ठी पर करें पूजन
स्कन्द षष्ठी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ कुमार कार्तिकेय का पूजन करने से सफलता आैर शांति का वरदान प्राप्त होता है।
भगवान स्कंद को मुरुगन भी कहा जाता है
मंगलवार 12 मार्च को स्कन्द षष्ठी है। इसे कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उनके पुत्र कार्तिकेय के साथ पूजन का विधान है। नवरात्रि में नवदुर्गा के पांचवें रूप की पूजा भी कुमार कार्तिकेय की माता के रूप में ही होती है, इसीलिए वह देवी स्कंदमाता कहलाती हैं। कहते हैं कि स्कंदमाता कुमार कार्तिकेय के पूजन से जितनी प्रसन्न होती हैं उतनी स्वयं के पूजन से भी नहीं होती। स्कंद शक्ति के अधिदेव हैं। देवताओं ने इन्हें अपना सेनापतित्व प्रदान किया है।
मुरुगन के नाम से प्रसिद्घ
मयूर पर आसीन देव सेनापति कुमार कार्तिकेय की आराधना दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा होती है। यहां पर वो मुरुगन नाम से विख्यात है। मान्यता है कि प्रतिष्ठा, विजय, व्यवस्था, अनुशासन सभी कुछ इनकी कृपा से संपन्न होते हैं। स्कंद पुराण के मूल उपदेष्टा कुमार कार्तिकेय ही माने जाते हैं तथा यह पुराण सभी पुराणों में सबसे विशाल है।
भगवान स्कंद की कथा
भगवान शिव के तेज से उत्पन्न बालक स्कंद की छह कृतिकाओं ने स्तनपान करा रक्षा की थी। इसीलिए इनके छह मुख हैं। उन्हें कार्तिकेय नाम जाना जाता है। पुराण व उपनिषद में इनकी महिमा का उल्लेख मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार जब दैत्यों का अत्याचार और आतंक फैल गया और देवताओं को पराजय का सामना करना पड़ा तब सभी देवता भगवान ब्रह्मा के पास पहुंचे। देव गणों ने अपनी रक्षा के लिये उनसे प्रार्थना की। ब्रह्मा उनके दुख का कारण जानकर उनसे बोले कि दैत्य तारका का अंत भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही संभव है। परंतु सती के अंत के पश्चात भगवान शिव गहन साधना में लीन थे। उन्हें साधना से बाहर लाने के लिए इंद्र और अन्य देव शिव अनेक प्रयास किए। जिसके फलस्वरूप भगवान शिव जाग्रत हो कर देवी पार्वती से विवाह करते हैं। जिसके बाद कार्तिकेय का जन्म हुआ आैर उन्होंने तारकासुर का वध करके देवों को उनके स्थान प्रदान किया।
विशेष उपाय
इस दिन कार्तिकेय की पूजा करने से बिगड़े काम बनते हैं। साथ ही कुछ विशेष उपाय करने से आप को हर क्षेत्र में सफलता भी मिलती है। एेसा माना जाता है कि शिवालय में भगवान कार्तिकेय पर 6 तेल के दीपक जलाने से व्यावसायिक प्रतिस्पर्धी परास्त होते हैं। कार्तिकेय पर दही में सिंदूर मिलाकर चढ़ाने से व्यावसायिक बाधाएं दूर होती हैं। स्कंद कुमार पर चढ़ा मोर पंख फैक्ट्री, दुकान अथवा आफिस के दक्षिण पश्चिम कोण में रखने से धन आगमन में वृद्धि होती