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    Navratri 2021: नवरात्रि में करें मातृ शक्ति का आह्वान, मां दुर्गा करती हैं इन 6 बुराइयों का अंत

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 12 Oct 2021 10:06 AM (IST)

    Navratri 2021 देवी जिन राक्षसों को मारती हैं वे हमारी नकारात्मक प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। विजयदशमी जो देवी पूजा की नौ रातों के बाद 10 वें दिन होती है बुराई पर अच्छाई की अधर्म पर धर्म की अंतिम जीत का प्रतीक है।

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    Navratri 2021: नवरात्रि में करें मातृ शक्ति का आह्वान, मां दुर्गा करती हैं इन 6 बुराइयों का अंत

    Navratri 2021: पुराणों में दुर्गा का संहार की शक्ति के रूप में चित्रण किया गया है। देवी की तलवार ज्ञान की तलवार है। यह हमारे अहंकार और इसके छह मूल तत्वों - इच्छा, क्रोध, लोभ, मोह, अभिमान और ईष्र्या को काटकर अलग करती है। तब अज्ञान का अंधेरा स्वाभाविक रूप से छंट जाता है। अज्ञान को केवल ज्ञान के द्वारा ही नष्ट किया जा सकता है। देवी जिन राक्षसों को मारती हैं, वे हमारी नकारात्मक प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। विजयदशमी, जो देवी पूजा की नौ रातों के बाद 10 वें दिन होती है, बुराई पर अच्छाई की, अधर्म पर धर्म की अंतिम जीत का प्रतीक है। उस जीत के लिए हमें ईश्वर की कृपा चाहिए।

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    जीवन में ईश्वर की कृपा लाने के लिए हमें केवल वही लेने की जरूरत है, जिसकी हमें जरूरत है और हमें उसे समाज को वापस देने की प्रवृत्ति को जगाने की जरूरत है। हमें सभी में ईश्वर को देखने और दूसरों की करुणापूर्वक सेवा करने की प्रवृत्ति को जाग्रत करना चाहिए।

    हम न केवल देवी की पूजा करते हैं, बल्कि ब्रह्मांड में सभी अचेतन वस्तुओं को भी दिव्य के रूप में देखते हैं। पूजा के लिए पत्थर, लकड़ी, बर्तन, हल, चाकू - यहां तक कि हथियार भी रखे जाते हैं। वास्तव में, मानव जाति को हमेशा सब कुछ दिव्य के रूप में देखने के इस दृष्टिकोण को बनाए रखना चाहिए। यदि हम ऐसा कर सकते हैं, तो हम कभी भी संघर्ष, युद्ध और अन्य प्रकार की हिंसा से ग्रस्त नहीं होंगे।

    ईश्वर की रचना में हर चीज का एक लाभकारी उद्देश्य होता है। जब हम वस्तुओं का दुरुपयोग करते हैं तो वे विनाश लाते हैं। सभी जीवित प्राणियों को एक साथ शांतिपूर्वक रहने में सक्षम होने के लिए और दुनिया को स्वस्थ तरीके से प्रगति करने के लिए अपने भीतर मातृ शक्ति का आह्वान करें। उस सार्वभौमिक प्रेम, करुणा और निस्वार्थता का जागरण ही विजयदशमी का सही अर्थ है। प्रेम ही एकमात्र स्थायी और अविनाशी शक्ति है।

    अम्मा अमृतानंदमयी देवी