Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    क्‍यों मां लक्ष्मी हीं धन की देवी हैं

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Sat, 07 Nov 2015 03:47 PM (IST)

    मां लक्ष्मी से आप जीवन जीने के लिए उपयोगी कई बातें सीख सकते हैं। लक्ष्मी या महालक्ष्मी (महालक्ष्मी) धन, भाग्य, प्रेम और सौंदर्य की देवी हैं। वह कमल के फूल विराजमान हैं। लक्ष्मी जी का एक नाम 'श्री' भी है। 'श्री' का महत्व हिंदू मंदिरों के अलावा, जैन और बौद्ध

    मां लक्ष्मी से आप जीवन जीने के लिए उपयोगी कई बातें सीख सकते हैं। लक्ष्मी या महालक्ष्मी (महालक्ष्मी) धन, भाग्य, प्रेम और सौंदर्य की देवी हैं। वह कमल के फूल विराजमान हैं। लक्ष्मी जी का एक नाम 'श्री' भी है। 'श्री' का महत्व हिंदू मंदिरों के अलावा, जैन और बौद्ध स्मारकों में अमूमन देखा गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मां लक्ष्मी जी के विभिन्न अवतार

    विष्णु जी की पत्नी: माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के हर अवतार में उनकी अर्धांगिनी रहीं हैं। भगवान विष्णु के श्रीराम अवतार में माता सीता ही लक्ष्मी माता का रूप थीं। श्री कृष्ण अवतार में रुकमणी ही लक्ष्मी माता थीं। वेंकटेश्वर अवतार में अलामेलु ही लक्ष्मी माता थीं। हालांकि, वह राधा भी थीं। वैष्णव परंपराओं में, वह देवी लक्ष्मी को ही नारायण की आदि शक्ति माना गया है। देवी लक्ष्मी धन के देवी हैं। वह संपन्नता का प्रतीक हैं। ज्योतिष में शुक्र माता लक्ष्मी, दुर्गा, संतोषी मां और शिव-पार्वती का प्रतिनिधित्व करता है।


    मां लक्ष्मी जी का स्वरूप:
    मां लक्ष्मी जी के स्वरूप के बारे में कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं। बात प्राचीन काल की है एक बार दुर्वासा ऋषि इंद्र के स्वर्ग लोक गए वो अपने साथ दिव्य फूलों की माला ले गए। वह माला उन्होंने इंद्र को भेंट दी। लेकिन इंद्र ने सभी देवताओं के सामने ही, अपने हाथी ऐरावत को दे दी। इंद्र को अपनी शक्तियों और स्वर्गाधिपति होने का अहंकार था। यह बात दुर्वासा ऋषि जानते थे। लेकिन दुर्वासा ऋषि का गुस्से से सभी देवता परिचित थे। उन्होंने श्राप दिया कि, इंद्र तुम्हें स्वर्ग के सिंहासन और धन को लेकर गर्व है। उस सिंहासन पर दानवों का समय-समय पर राज रहेगा।

    इस बात को लेकर इंद्र सहित सभी देवतागण चिंतित हो गए। इस तरह कुछ समय बाद समुद्र मंथन हुआ। क्षीरसागर में समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार लिया। नागों के राजा वासुकि, मंथन के समय रस्सी बने। जब कि समुद्र मंथन के लिए मंथरा पर्वत का उपयोग किया गया। समुद्र मंथन के समय कई दिव्य वस्तुएं निकलीं और इस तरह मां लक्ष्मी भी इस समुद्र मंथन के समय अवतरित हुईं।

    विष्णु पुराण के अनुसार मां लक्ष्मी: विष्णु पुराण के अनुसार, लक्ष्मी भृगु और ख्याति की पुत्री हैं। दुर्वासा के शाप के लिए वह स्वर्ग छोड़ दिया था। मां लक्ष्मी फिर क्षीरसागर में रहने लगीं। समुद्र मंथन के दौरान वह पुन: अवतरित हुईं। और उसके बाद विष्णु जी से उनकी शादी हुई। लक्ष्मी जी को माया नाम से भी जाना जाता है। कुछ पौराणिक कथाओं में उन्हें भूदेवी और श्री देवी, दोनों माना गया है।

    भूदेवीमां पृथ्वी हैं जो भूमि की उर्वरता बढ़ाती हैं। श्रीदेवी धन की देवी हैं। वह हमेशा नारायण के साथ साथ रहती हैं। जिन्हें मां लक्ष्मी भी कहा जाता है।