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    जानें, क्यों इस्लाम धर्म में जुमे की नमाज मस्जिद में अदा की जाती है और क्या है इसका महत्व

    By Umanath SinghEdited By:
    Updated: Thu, 28 May 2020 06:03 PM (IST)

    इस्लामिक मान्यता के अनुसार इस दिन मस्जिद के इमाम लोगों को प्रवचन अथवा संदेश देते हैं। इस प्रवचन में धर्म से जुड़ी जानकारी के साथ ही वर्तमान परिवेश पर विचार प्रस्तुत करते हैं।

    जानें, क्यों इस्लाम धर्म में जुमे की नमाज मस्जिद में अदा की जाती है और क्या है इसका महत्व

    दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। इस्लाम धर्म में शुक्रवार विशेष दिन होता है। इस दिन इस्लामी के अनुयायी विशेष नमाज़ अदा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सच्चे दिल से इबादत करने पर व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। आमतौर पर रोजाना पांच पहर में नमाज़ अदा की जाती है, लेकिन जुमे की नमाज़ विशेष होती है। अगर आपको पता नहीं है तो आइए जानते हैं कि क्यों जुमे की नमाज़ खास होती है-

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    इस्लामिक मान्यता के अनुसार, इस दिन मस्जिद के इमाम लोगों को प्रवचन अथवा संदेश देते हैं। इस प्रवचन में धर्म से जुड़ी जानकारी देते हैं। साथ ही वर्तमान परिवेश पर विचार प्रस्तुत करते हैं। इस विशेष संदेश को खुतबा कहा जाता है। इसकी परंपरा सदियों से रही है।

    ऐसा कहा जाता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने इसकी शुरुआत की थी। जब उन्होंने हर जुमे के दिन लोगों को एकसाथ मिलकर नमाज़ अदा करने की सलाह दी थी। इसके लिए हजरत मोहम्मद साहब स्वयं जुम्मे के दिन दोपहर में खुतबा के लिए हाजिर रहते थे। इसके बाद से हर जुमे यानी शुक्रवार को विशेष नमाज़ अदा की जाने लगी। वैसे इस्लाम में जुमे का अर्थ जमा होना होता है। इसके लिए जुमे के दिन लोग नमाज़ अदा करने के लिए जमा होते हैं और साथ में नमाज अदा करते हैं।

    रमजान महीने के 27 वें दिन शब-ए-क़द्र की रात को कुरान का अवतरण हुआ। इसमें पांच पहर नमाज़ अदा करने की बात है। इसलिए इस्लामिक धर्म के लोग रोजाना पांच पहर में नमाज अदा करते हैं। इसे इन पांचों अजान के नाम और समय निम्न हैं-

    1.फज्र इसे सूर्योदय से पहले अदा किया जाता है।

    2. दुहर इसे सुबह में अदा किया जाता है।

    3. अस्र इसे दोपहर में अदा किया जाता है।

    4. मगरिब इसे सूर्यास्त के बाद अदा किया जाता है।

    5. ईशा इसे रात में 9 बजे से 10 बजे के बीच अदा किया जाता है।