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    Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती एक साथ क्यों मनाई जाती है?

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 07:00 AM (IST)

    मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती एक साथ मनाई जाती है, जो इस साल 1 दिसंबर को है। मोक्षदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और मोक्ष प्रदान करती है। गीता जयंती वह दिन है जब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। इन दोनों पर्वों (Mokshada Ekadashi and Geeta Jayanti) का एक साथ आना एक दुर्लभ संयोग है, आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती के बारे में यहां जानें।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है, क्योंकि इस दिन दो अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व एक साथ मनाए जाते हैं। मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का पर्व इस साल 01 दिसंबर को मनाई जाएगी। इन दोनों पर्वों का एक ही तिथि पर आना केवल संयोग नहीं है, बल्कि इनके गहरे आध्यात्मिक संबंध है, तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।

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    मोक्षदा एकादशी यानी मोक्ष का द्वार (Mokshada Ekadashi 2025 Significance)

    mokshada

    AI Genereted

    मोक्षदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। 'मोक्षदा' का अर्थ है मोक्ष देने वाली। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्रत रखने वाले और उनके पितरों दोनों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह साल की अंतिम एकादशी में से एक होती है, जो पूरे साल की पूजा को पूर्णता देती है।

    गीता जयंती यानी ज्ञान का भंडार (Geeta Jayanti 2025 Significance)

    geeta gyan

    AI Genereted

    गीता जयंती वह दिन है जब भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला, कर्म का सिद्धांत और धर्म का सार है। इसमें भगवान कृष्ण ने ज्ञान, भक्ति और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने का मार्ग बताया है।

    एक साथ मनाए जाने की वजह (Reasons To Celebrate Together)

    मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का एक साथ होना अत्यंत दुर्लभ और महत्वपूर्ण संयोग है, क्योंकि दोनों का उद्देश्य ही मोक्ष है। मोक्षदा एकादशी तिथि पर ही मुरलीधर ने अर्जुन को गीता का महाज्ञान दिया था। इसी वजह से यह महापर्व एक साथ मनाया जाता है। इस दिन गीता का पाठ करने से वह ज्ञान प्राप्त होता है जो हमें मोक्ष की ओर ले जाता है। इसके साथ ही एकादशी व्रत का पालन करने सभी पापों का नाश होता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।