Move to Jagran APP

Curse of Lord Indra: जब इंद्र के पाप के भागीदार बने स्त्री, भूमि और पानी

Earth Water Women and Trees get Indras sin एक बार देवराज इंद्र पर देवगुरु विश्वरूप की हत्या के कारण ब्रह्म हत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उनके दोषों का वहन करने भूमि जल पेड़ और स्त्री सहयोगी बने। जाने क्या है यह कथा

By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkPublished: Thu, 12 Jan 2023 06:17 PM (IST)Updated: Thu, 12 Jan 2023 10:19 PM (IST)
Curse of Lord Indra: जब इंद्र के पाप के भागीदार बने स्त्री, भूमि और पानी
मारे पुराणों में अनेक रोचक कथाएं जुड़ी हुई हैं। ऐसी ही एक कथा पंडित महेंद्र ने सुनाई।

नई दिल्ली। Lord Indra: हमारे पुराणों में अनेक रोचक कथाएं जुड़ी हुई हैं। ऐसी ही एक कथा पंडित महेंद्र ने सुनाई। यह कथा उस समय की है, जब देवताओं और दानवों का युद्ध चल रहा था। देवराज इंद्र के नेतृत्व में देवताओं में उन पर विजय प्राप्त की। इस कथा में पंडित जी ने बताया कि कैसे तब इंद्र का अहंकार उन पर भारी पड़ा, और वह ब्रह्म हत्या के पाप के भागीदार बने।

loksabha election banner

क्या है कथा

इस कथा के अनुसार देव-दानव युद्ध में विजय प्राप्त करने के कारण, इंद्र में त्रिलोक स्वामी होने का अहंकार आ गया। जिसके कारण उन्होंने देवगुरु बृहस्पति का अपमान कर दिया। इस पर बृहस्पति रुष्ट होकर देव लोक छोड़कर चले गए। राक्षसों ने इसका लाभ उठाते हुए देवताओं पर हमला कर दिया। मदद के लिए देवगण ब्रह्मा के पास पहुंचे, और उन्होंने बृहस्पति के स्थान पर त्वष्टा ऋषि के पुत्र विश्वरूप को देवगुरु की पदवी पर आसीन करने के लिए कहा। विश्वरूप ने कार्यवाहक पुरोहित बनके देवराज इंद्र को नारायण कवच प्रदान किया। जिसके प्रभाव से उन्हें विजय हासिल हुई। इस विजय के उपलक्ष में इंद्र ने एक यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ में आहुति के दौरान विश्वरूप असुरों के लिए भी हविष डालने लगे। यह देख कर क्रोधित इंद्र ने वहीं उनका वध कर दिया। इसी के चलते उन पर ब्रहम हत्या का पाप लगा।

यह चार बने पाप के हिस्सेदार

इस हत्या से क्रोधित होकर त्वष्टा ऋषि ने इंद्र को दंडित करने के लिए यज्ञ कुंड से भयंकर असुर वृत्तासुर को प्रकट किया। वही इंद्र ने 1 वर्ष तक ब्रह्म हत्या के पाप के कारण कष्ट उठाया। उनका समस्त बल क्षीण हो गया। तब वह भगवान विष्णु की शरण में गए। विष्णु ने ऋषियों से सलाह करके, इंद्र को अपना दोष चार हिस्सों में विभक्त करके, बांटने के लिए कहा‌ इंद्र के पाप को वहन करने पृथ्वी, जल, वृक्ष और स्त्री आगे आए। चारों ने एक-एक हिस्सा वहन किया। जिसके कारण उन्हें पाप के फल के साथ एक-एक वरदान भी मिला। पाप के कारण पृथ्वी का एक बड़ा हिस्सा बंजर हो गया। बदले में उसे वरदान प्राप्त हुआ कि उसमें होने वाला हर गड्ढा अपने आप भर जाएगा। वहीं वृक्षों को वरदान मिला कि उनका कोई भी हिस्सा कटने के बाद पुनः उग आएगा, लेकिन पाप के दोष से उनका रस पीने योग्य नहीं रहा। जल को दोष स्वरूप फेन और झाग मिले पर, साथ ही वरदान मिला कि जितना जल खर्च होगा उतना ही उसे वापस मिल जाएगा‌ इसी पाप के कारण स्त्रियां रजस्वला होती हैं, परंतु उन्हें प्रेम का आशीर्वाद मिला।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.