किसने लिखी रामायण ?
ऐसी मान्यता है सर्वप्रथम श्रीराम की कथा भगवान शंकर ने देवी पार्वती को सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया। उसी कौवे का पुनर्जन्म कागभुशुण्डि के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि को पूर्व जन्म में भगवान शंकर के मुख से सुनी वह रामकथा पूरी की पूरी याद
ऐसी मान्यता है सर्वप्रथम श्रीराम की कथा भगवान शंकर ने देवी पार्वती को सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया। उसी कौवे का पुनर्जन्म कागभुशुण्डि के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि को पूर्व जन्म में भगवान शंकर के मुख से सुनी वह रामकथा पूरी की पूरी याद थी।
उन्होंने यह कथा अपने शिष्यों को सुनाई। इस प्रकार रामकथा का प्रचार-प्रसार हुआ। भगवान शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा 'अध्यात्म रामायण' के नाम से विख्यात है।
हालांकि रामायण के बारे में एक मत और प्रचलित है और वो यह है कि सबसे पहले रामायण हनुमानजी ने लिखी थी, फिर महर्षि वाल्मीकि संस्कृत महाकाव्य 'रामायण' की रचना की। रामायण के बाद से ही श्रीराम कथा को कई भाषाओं में रामायण या फिर इसके समकक्ष नामों से लिखा गया। हनुमानजी ने इसे एक शिला पर लिखा था। यह रामकथा वाल्मीकि की रामायण से भी पहले लिखी गई थी और 'हनुमन्नाटक' के नाम से प्रसिद्ध है। इस तरह भगवान श्रीराम आज भी दुनिया की कई रामायणों में जीवित हैं। जो सदियों तक रहेंगे।
रामायण में श्रीराम कथा
इस तरह समय समय पर कई रामायण लिखीं गईं। इन सभी रामायणों में श्रीराम कथा में कुछ न कुछ फेरबदल किया गया। इन तमाम पवित्र रामायण ग्रंथों में श्रीराम के बारे में ऐसे प्रसंग मिलते हैं जो मूल वाल्मीकि रामायण में नहीं है। इसलिए महर्षि वाल्मीकि रामायण को ही मूल रामायण माना जाता है।
वाल्मीकि रामायण और अन्य रामायण में जो अंतर देखने को मिलता है वह यह है कि वाल्मीकि रामायण को तथ्यों और घटनाओं के आधार पर लिखा गया था, जबकि अन्य रामायण को जनश्रुति के आधार पर लिखा गया।
उदाहरण के लिए बुद्ध ने अपने पूर्व जन्मों का वृत्तांत कहते हुए अपने शिष्यों को रामकथा सुनाई थी। बुद्ध के बाद गोस्वामी तुलसीदास रामकथा को श्रीरामचरितमानस के नाम से अवधी में लिखा। ठीक इसी तरह से जनश्रुतियों के आधार पर हर देश ने अपनी रामायण लिखी गई।
रामायण अब तक अन्नामी, बाली, बांग्ला, कम्बोडियाई, चीनी, गुजराती, जावाई, कन्नड़, कश्मीरी, खोटानी, लाओसी, मलेशियाई, मराठी, ओड़िया, प्राकृत, संस्कृत, संथाली, सिंहली, तमिल, तेलुगु, थाई, तिब्बती, कावी आदि भाषाओं में लिखी जा चुकी है।