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    कौन थे मुचकुंद, कैसे की उन्होंने देवताओं की रक्षा

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Tue, 27 Sep 2016 12:13 PM (IST)

    जब कालयवन उस गुफा में पहुंचा। तो उसने सोचा कृष्ण सो रहे हैं तब उसने सो रहे मुचकुंद को जगा दिया। मुचकुंद ने जैसे ही कालयवन को देखा, तो वह जलकर भस्म हो गया।

    मुचकुंद, इक्ष्वाकु नरेश मांधाता के पुत्र थे। उन्होंने असुरों से युद्ध कर, देवताओं को विजयश्री दिलाई थी। जब कई दिनों तक लगातार युद्ध करने के कारण मुचुकंद थक गए, तब देवताओं ने उन्हें अनिश्चित समय तक शयन करने का वरदान दिया था।

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    देवताओं ने यह भी कहा, यदि आपको जो भी नींद से जगाएगा वह आपकी आंखों से निकलने वाली ज्वाला से भस्म हो जाए। मुचकुंद के कारण ही कालयवन का अंत हो सका था।

    कौन था कालयवन ?

    कालयवन यवन देश में रहता था। पुराणों में इसे म्लेच्छ कहा गया है। वह ऋषि शेशिरायण का पुत्र था। गर्ग गोत्र के ऋषि शेशिरायण त्रिगत राज्य के कुलगुरु थे। उन्होंने भगवान शिव का तप कर अजेय पुत्र का पिता बने का वरदान प्राप्त किया।

    वरदान मिलने के बाद ऋषि शेशिरायण एक झरने के पास से जा रहे थे कि उन्होंने एक स्त्री को नहाते देखा, जो अप्सरा रम्भा थी। दोनों एक-दूसरे पर मोहित हो गए और उनका पुत्र कालयवन हुआ। 'रंभा' समय समाप्ति पर स्वर्गलोक वापस चली गई और अपना पुत्र ऋषि को सौंप गई।

    जरासंध का मित्र था कालयवन

    हुआ यूं कि श्रीराम के कुल के राजा शल्य थे। उन्होने जरासंध को सलाह दी कि, कृष्ण को हराने के लिए वह यवन देश के राजा कालयवन से दोस्ती करें। और कालयवन को मथुरा पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित करें।

    जरासंध ने राजा शल्य के कहने पर ऐसा ही किया। कालयवन की शर्त थी, कृष्ण और कालयवन के बीच ही द्वंद युद्ध हो। दोनों में युद्ध हुआ लेकिन कृष्ण जानते थे कि कालयवन को शिव का वर प्राप्त है इसीलिए वह युद्ध भूमि से उस गुफा की ओर चल दिए जहां मुचकुंद वर्षों से सो रहे थे।

    कृष्ण द्वारा रण छोड़ने के कारण उनका एक नाम रणछोड़दास भी रखा गया। वहीं, जब कृष्ण के पीछे कालयवन भी जा रहा था। कृष्ण गुफा में पहुंचे और मुचकुंद के शरीर पर अपने वस्त्र डाल दिए।

    जब कालयवन उस गुफा में पहुंचा। तो उसने सोचा कृष्ण सो रहे हैं तब उसने सो रहे मुचकुंद को जगा दिया। मुचकुंद ने जैसे ही कालयवन को देखा, तो वह जलकर भस्म हो गया।