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    Lord Rama's Vidya: क्यों भगवान राम को वनवास के दौरान नहीं लगती थी भूख? इस विद्या से जुड़ा है कनेक्शन

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 20 Jan 2025 09:01 PM (IST)

    लंकापति दशानन रावण त्रेता युग में भगवान राम (Lord Rams Vidya) के समकालीन थे। दशानन रावण ने कठिन भक्ति कर देवों के देव महादेव को प्रसन्न किया था। कठिन ...और पढ़ें

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    Lord Rama's Vidya: भगवान राम की जीवनी

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है। यह पर्व चैत्र नवरात्र के दौरान मनाया जाता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान राम का अवतरण हुआ था। भगवान राम के जन्म की जानकारी निम्न श्लोक से मिलती है।

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    चैत्रे नवम्यां प्राक् पक्षे दिवा पुण्ये पुनर्वसौ ।

    उदये गुरुगौरांश्चोः स्वोच्चस्थे ग्रहपञ्चके ॥

    मेषं पूषणि सम्प्राप्ते लग्ने कर्कटकाह्वये ।

    आविरसीत्सकलया कौसल्यायां परः पुमान् ॥

    ज्योतिषियों की मानें तो भगवान राम का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। भगवान राम ने अपने कर्तव्यों का पालन कर आदर्श प्रस्तुत किया था। विषम परिस्थिति पैदा होने पर भी उन्होंने मर्यादा नहीं तोड़ा था। इसके लिए भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।

    भगवान राम ने अपने जीवन में केवल और केवल दुखों का सामना किया था। लेकिन क्या आपको पता है कि वनवास के दौरान भगवान राम और लक्ष्मण जी ने कैसे अपना जीवन-यापन किया था? शास्त्रों में निहित है कि भगवान श्रीराम को बला और अतिबला विद्या का ज्ञान था। इस विद्या के चलते भगवान राम को वनवास काटने में कठिनाई नहीं हुई थी।

    कहते हैं कि बला और अतिबला विद्या से निपुण व्यक्ति को भूख और प्यास कंट्रोल करने की शक्ति होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि बला और अतिबला विद्या के ज्ञाता को भूख और प्यास नहीं लगती है। साथ ही मौसम परिवर्तन होने से भी शारीरिक ताप में बदलाव नहीं आता है। आइए, बला और अतिबला विद्या के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    भगवान राम का जीवन

    भगवान विष्णु की लीला अपरंपार है। अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से जातक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। हालांकि, भगवान विष्णु स्वयं त्रेता काल में विषम परिस्थिति से गुजरे थे। तत्कालीन समय में भगवान राम को सबसे पहले चौदह वर्षों का वनवास मिला था।

    इस दौरान पिता का शोक मिला। जब उनके पिता दशरथ जी की मृत्यु हो गई। वनवास के दौरान रावण ने मां सीता का हरण कर लिया। वहीं, अयोध्या लौटने के बाद मां सीता को पुनः वनवास मिला था। चौदह वर्ष वनवास के दौरान भगवान राम ने बला और अतिबला विद्या (Lord Ram's mentors) का इस्तेमाल किया था।

    क्या है बला और अतिबला विद्या? (Bala and Atibala Vidya)

    वाल्मीकि रामायण में बला और अतिबला विद्या का वर्णन है। यह विद्या विश्वामित्र (mythological education) ने भगवान राम और लक्ष्मण जी को सिखाई थी। इस विद्या से कोई भी योद्धा भगवान राम और लक्ष्मण जी को परास्त नहीं कर सकता था। इस गुप्त विद्या के चलते भगवान राम और लक्ष्मण जी को भूख और प्यास नहीं लगती थी। इसके साथ ही मौसम बदलने पर भी भगवान राम या लक्ष्मण जी किसी रोग से ग्रसित नहीं होते थे।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।