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    Surya dakshinayan 2023 Date: जानें, कब होंगे सूर्य देव दक्षिणायन और क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व?

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 12 Jun 2023 11:50 AM (IST)

    Surya dakshinayan 2023 Date दुनियाभर में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। 21 जून को सबसे बड़ा दिन भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य की किरणें पृथ्वी पर अन्य दिनों की तुलना में अधिक देर तक रहती हैं।

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    Surya dakshinayan: जानें, कब होंगे सूर्य देव दक्षिणायन और क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Surya dakshinayan 2023 Date: सनातन पंचांग के अनुसार सूर्य देव वर्ष में दो बार अपनी स्थिति बदलते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 14 जनवरी को सूर्य देव उत्तरायण होते हैं। वहीं, 21 जून को सूर्य देव दक्षिणायन होते हैं। इस दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भी मनाया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो सूर्य की दिशा बदल जाती है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। आसान शब्दों में कहें तो जब सूर्य देव मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करते हैं, तो उत्तरायण रहते हैं। वहीं, जब सूर्य देव कर्क राशि से धनु राशि तक भ्रमण करते हैं, तो दक्षिणायन रहते हैं। धर्म शास्त्रों में सूर्य की दिशा बदलने का उल्लेख है। सनातन धर्म में सूर्य की दिशा बदलने का विशेष महत्व है। सूर्य देव के दक्षिणायन होने पर पूजा, जप और तप का महत्व बढ़ जाता है। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-

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    धार्मिक महत्व

    पवित्र ग्रंथ 'गीता' में भगवान श्रीकृष्ण अपने शिष्य और सखा अर्जुन से कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति (संत महात्मा, भगवान के भक्त) शुक्ल पक्ष के दौरान दिन के उजाले में सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने प्राण का त्याग करता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। आसान शब्दों में कहें तो वह व्यक्ति मृत्यु भुवन में लौटकर नहीं आता है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति सूर्य के दक्षिणायन रहने पर कृष्ण पक्ष के दौरान निशा काल में प्राण त्यागता है, तो उसे चंद्र लोक से पुनः पृथ्वी पर लौटना पड़ता है। वह कर्म बंधन से मुक्त नहीं हो पाता है। अतः महाभारत काल में भीष्म पितामह युद्ध में घायल होने के पश्चात बाणों की शैय्या पर लेटे रहें। सूर्य के उत्तरायण होने पर भीष्म पितामह ने अपने शरीर का त्याग किया। भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। अतः सनातन धर्म में सूर्य की दिशा बदलने का विशेष महत्व है।

    सूर्य के उत्तरायण होने पर सभी मांगलिक कार्य किए जाते हैं। हालांकि, सूर्य के दक्षिणायन होने पर (देवउठनी एकादशी तक) मांगलिक कार्य करने की मनाही है। सूर्य के दक्षिणायन को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान भोग विलास की पूर्ति हेतु अनुष्ठान किए जाते हैं। ऐसा करने से साधक को सिद्धि प्राप्त होती है। शास्त्रों में निहित है कि इस समय पूजा, जप, तप करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। सूर्य के उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है। वहीं, सूर्य के दक्षिणायन को देवताओं के लिए निशा काल माना जाता है।

    वैज्ञानिक महत्व

    दुनियाभर में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। 21 जून को सबसे बड़ा दिन भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य की किरणें पृथ्वी पर अन्य दिनों की तुलना में अधिक देर तक रहती या पड़ती हैं। इसके पश्चात 21 सितंबर से रात लंबी होने लगती है। अतः वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सूर्य के दक्षिणायन होने का विशेष महत्व है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'