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    Kokila Vrat 2024: कब रखा जाएगा कोकिला व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं योग

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 24 Jun 2024 06:06 PM (IST)

    सनातन धर्म शास्त्रों में निहित है कि इस व्रत को मां सती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए सबसे पहले किया था। इस व्रत के पुण्य प्रताप से ...और पढ़ें

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    Kokila Vrat 2024: कोकिला व्रत पर भद्रायोग का निर्माण हो रहा है

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kokila Vrat 2024: हर वर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर कोकिला व्रत रखा जाता है। यह पर्व भगवान शिव एवं मां पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां करती हैं। धार्मिक मत है कि कोकिला व्रत करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं, भगवान शिव की कृपा से लड़कियों की शीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही मनचाहा वर मिलता है। सामान्य जन भी इच्छा पूर्ति के लिए कोकिला व्रत करते हैं। आइए, कोकिला व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई को भारतीय समयानुसार सुबह 5 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी। भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। व्रती 20 जुलाई को कोकिला व्रत कर सकती हैं। वहीं, आषाढ़ पूर्णिमा 21 जुलाई को है।

    योग

    कोकिला व्रत के दिन रवि योग दिन भर है। वहीं, भद्रावास संध्याकाल से है। ज्योतिषियों की मानें तो रवि योग 20 जुलाई को भारतीय समयानुसार 05 बजकर 36 मिनट से शुरू होगा। वहीं, इसका समापन 21 जुलाई को देर रात 01 बजकर 49 मिनट पर होगा। इस दिन नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा है।

    पूजा विधि

    आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करें। साथ ही घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें और आचमन कर व्रत संकल्प लें। इस समय सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद पूजा गृह में एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर शिव परिवार की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब पंचोपचार कर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करें। इस समय भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फल, फूल आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। अंत में आरती कर अपनी मनोकामना शिव परिवार से करें। मनोकामना अनुसार दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में पूजा-आरती कर फलाहार करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।