कब है Hanuman Jayanti 2019, इस अवसर पर जाने बजरंग बली से जुड़ी कुछ बातें
शुक्रवार 19 अप्रैल 2019 को देश भर में हनुमान जयंती का पर्व मनाया जायेगा। इस बार इस तिथि पर अनोखा संयोग बन रहा है।
हनुमान जन्म का उत्सव
इस बार दो शुभ नक्षत्रों के संयोग से हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जायेगा। हनुमान जयंती 2019 पर गजकेसरी और चित्रा नक्षत्र का योग बन रहा है। वैसे हनुमान जयंती के संदर्भ को लेकर कुछ मतभेद हैं। कुछ स्थानों पर हनुमान जयंती कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर मनाई जाती है, और कुछ जगह चैत्र शुक्ल पूर्णिमा पर, जबकि धार्मिक ग्रन्थों में दोनों ही तिथियों का जिक्र आता है। इसका कारण ये है कि पहली तिथि यानि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को बजरंग बली का विजय अभिनंदन महोत्सव होता है वहीं चैत्र शुक्ल पूर्णिमा पर उनका जन्मदिवस माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन बजरंग बली को चोला चढ़ाने से हर बिगड़ा काम बन जाता है और हनुमान जी की विशेष कृपा होती है।
राम भक्त हनुमान
हनुमान भगवान राम के परम भक्त थे उनकी माता अंजनि के पुत्र हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था, इसीलिए ये पर्व हनुमान जयंती के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। रामायण की कथा के अनुसार वे श्री राम की पत्नी जानकी के भी अत्यधिक प्रिय हैं । जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी शामिल हैं । हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ था। हनुमानजी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं ।
पवनपुत्र से जुड़ी खास बातें
क्या आप जानते हैं कि परम भक्त होने के बावजूद हनुमान जी ने उनके साथ युद्ध भी किया था। एक बार गुरु विश्वामित्र किसी वजह से हनुमानजी से नाराज हो गए और उन्होंने श्री राम को हनुमान को मारने के लिए कहा। राम क्योंकि वह गुरु की आज्ञा नहीं टाल सकते थे, इसलिए उन्होंने अपने भक्त पर प्रहार किए लेकिन इस दौरान हनुमान, राम नाम जपते रहे जिसके चलते उनके ऊपर किसी प्रहार का प्रभाव नहीं हुआ और सारे शस्त्र विफल हो गए। हनुमान पवन पुत्र हैं और महाभारत काल में कुंती ने भी पवनदेव के माध्यम से ही भीम को जन्म दिया था। इस तरह से भीम औऱ हनुमान जी भाई माने जाते हैं। सबसे पहले विभीषण ने हनुमानजी की शरण में आने के लिए उनकी स्तुति की थी और एक बहुत ही अद्भुत और अचूक स्तोत्र की रचना की थी। हनुमान जी रामायण के प्रथम लेखक भी माने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार उन्होनें हिमालय पर जाकर उस पर अपने नाखूनों से रामायण लिखी थी। जब बाल्मीकि जी हिमालय पर गए तो उन्हें वहां पर पहले से ही लिखी हुई रामायण मिली। हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी के रूप में पहचाना जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका मकरध्वज नाम का एक पुत्र भी था।