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Guru Purnima 2021: आज है गुरु पूर्णिमा, जानें यह गुरुजनों के लिए क्यों है समर्पित

Guru Purnima 2021 गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः। इस श्लोक का अर्थ है कि गुरु ही ब्रह्मा हैं गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही भगवान शिव शंभू हैं। गुरु ही साक्षात् परमब्रह्म हैं। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 10:12 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 07:16 AM (IST)
Guru Purnima 2021: आज है गुरु पूर्णिमा, जानें यह गुरुजनों के लिए क्यों है समर्पित
Guru Purnima 2021: आज है गुरु पूर्णिमा, जानें यह गुरुजनों के लिए क्यों है समर्पित

Guru Purnima 2021: गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः। इस श्लोक का अर्थ है कि गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही भगवान शिव शंभू हैं। गुरु ही साक्षात् परमब्रह्म हैं। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं। भारत में गुरु को आदिकाल से ही ईश्वर का दर्जा प्राप्त है। वे हमें ज्ञान रूपी प्रकाश से आलोकित करते हैं, हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करते हैं। अच्छे और बुरे में फर्क करना बताने हैं, जीवन के मूलभूत सिद्धातों से परिचित कराते हैं। गुरु के महत्ता को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा को वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। उन्होंने वेदों का ज्ञान दिया और पुराणों की रचना की। उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन गुरुजनों की पूजा करने की परंपरा है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई दिन शनिवार को है।

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गुरु पूर्णिमा 2021 तिथि

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 23 जुलाई दिन शुक्रवार सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू हो रही है। यह 24 जुलाई दिन शनिवार को सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक मान्य होगी। उदया तिथि 24 को प्राप्त है, इसलिए इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई को है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

कबीर दास ने बहुत पहले ही गुरु की महत्ता को ध्यान में रखकर लिख दिया था:

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय।। कबीर दास ने कहा है कि गुरु और गोबिंद अर्थात् भगवान दोनों ही साथ में खड़े हों तो किसे पहले प्रणाम करना चाहिए। इस स्थिति में गुरु को सबसे पहले प्रणाम करना उत्तम है क्योंकि गुरु कृपा से ही गोबिंद के दर्शन भी संभव हुआ है। गुरु जीवन के मार्गदर्शक होते हैं, इसलिए उनको ईश्वर का दर्जा प्राप्त है।

गुरु पूर्णिमा के दिन आपको स्नान आदि से निवृत होकर अपने गुरुजनों का आशीष लेना चाहिए। आपने उनसे जो शिक्षा ग्रहण की है और उससे जो सफलता प्राप्त की है, उसके लिए उनका आभार प्रकट करना चाहिए।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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