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    Gayatri Jayanti 2023: आज है गायत्री जयंती, जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 31 May 2023 09:32 AM (IST)

    Gayatri Jayanti 2023 भगवान श्रीकृष्ण पवित्र ग्रंथ गीता में अपने परम शिष्य अर्जुन से कहते हैं कि परमात्मा की प्राप्ति करने हेतु साधक को नित प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को तीनों वेदों के अध्ययन समतुल्य फल प्राप्त होता है।

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    Gayatri Jayanti 2023: आज है गायत्री जयंती, जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Gayatri Jayanti 2023: आज गायत्री जयंती और निर्जला एकादशी है। यह दिन साधु-संतों और साधकों के लिए विशेष होता है। धार्मिक मान्यता है कि माता गायत्री की पूजा-उपासना करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। साथ ही व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि और यश एवं कीर्ति की प्राप्ति होती है। जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण पवित्र ग्रंथ गीता में अपने परम शिष्य अर्जुन से कहते हैं कि परमात्मा की प्राप्ति करने हेतु साधक को नित प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को तीनों वेदों के अध्ययन समतुल्य फल प्राप्त होता है। आइए, गायत्री जयंती के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    तिथि

    हिन्दू पचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 मई को दोपहर 1 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर 31 मई को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। अतः 31 मई को गायत्री जयंती और निर्जला एकादशी है।

    पूजा विधि

    इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर जगत के पालनहार भगवान विष्णु को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब सर्वप्रथम सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। तदोउपरांत, गायत्री माता को जल का अर्घ्य दें। इस समय गायत्री मंत्र का जाप करें-

    ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ||

    अब माता गायत्री को साक्षी मानकर उनकी प्रतिमा अथवा तस्वीर की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, अक्षत चन्दन, जल आदि करें। अंत में आरती अर्चना कर सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना करें। दिनभर उपवास करें। शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन पूजा पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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