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    Annapurna Jayanti 2025 Date: कब है अन्नपूर्णा जयंती? यहां नोट करें शुभ मुहूर्त और योग

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 09:00 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि मानें तो अगहन पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करने से साधक को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही त्रिदेव की कृपा साधक पर बरसती है। इस दिन अन्न का दान करना बेहद शुभ माना जाता है।

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    Annapurna Jayanti 2025 Date: अन्नपूर्णा जयंती का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क,नई दिल्ली। हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि पर अन्नपूर्णा जयंती (Annapurna Jayanti 2025 Date) मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर देवी मां अन्नपूर्णा और देवों के देव महादेव की विशेष पूजा की जाती है। व्रती देवी मां अन्नपूर्णा की कृपा पाने के लिए भोजन पकाकर पूजा के समय देवी मां अन्नपूर्णा को भेंट करती हैं। इस समय तक गृहिणी व्रत रखती हैं। पूजा समापन के बाद प्रसाद रूप में भोजन ग्रहण करती हैं।

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    devi maa annpurna

    धार्मिक मत है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि पर देवी मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से अन्न और धन के भंडार भरे रहते हैं। इसके साथ ही देवी मां पार्वती की कृपा से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए, अन्नपूर्णा जयंती की सही तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं-

    अन्नपूर्णा जयंती तिथि और शुभ मुहूर्त (Annapurna Jayanti 2025 Date And Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 37 मिनट पर होगी और 5 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार 04 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी।

    अन्नपूर्णा जयंती तिथि और शुभ योग (Annapurna Jayanti 2025 Date And Shubh Muhurat)

    ज्योतिषियों की मानें तो अन्नपूर्णा जयंती पर दुर्लभ शिव और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है। शिव योग का संयोग दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक है। इसके बाद सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही दोपहर दोपहर 02 बजकर 54 मिनट तक रवि योग है। इसके अलावा, भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।

    नक्षत्र एवं करण

    अन्नपूर्णा जयंती पर कृत्तिका और रोहिणी नक्षत्र का संयोग है। इसके साथ ही वणिज करण के शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव और मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।

    कौन हैं मां अन्नपूर्णा?

    सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि चिर काल में एक बार पृथ्वी लोक पर अन्न का अकाल पड़ गया। इससे पृथ्वी लोक पर हाहाकार मच गया। यह जान भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी समेत देवी-देवता जगत की देवी मां पार्वती और भगवान शिव के पास पहुचें। उनसे अन्न की समस्या को दूर करने की याचना की। देवताओं की समस्या जान भगवान शिव और मां पार्वती पृथ्वी लोक पर आये।

    पृथ्वी लोक पर अन्न की कमी से त्राहिमाम मचा हुआ था। तब देवी मां पार्वती ने अन्नपूर्णा स्वरूप धारण कर भगवान शिव को दान में अन्न प्रदान किया। तब भगवान शिव ने अन्न को पृथ्वीवासियों के मध्य वितरित किया। इस प्रकार पृथ्वी लोक से अन्न की कमी दूर हो गई। तब से देवी मां अन्नपूर्णा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। कहते हैं कि देवी मां अन्नपूर्णा का वास किचन में होता है। इसके लिए किचन की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।