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    प्रणाम करने का क्या है महत्व

    By Edited By:
    Updated: Thu, 21 Nov 2013 12:43 PM (IST)

    प्रणाम करना एक सम्मान है, एक संस्कार है। प्रणाम करना एक यौगिक प्रक्रिया भी है। बड़ों को हाथ जोड़कर प्रणाम करने का वैज्ञानिक महत्व है। संस्कृत मनीषी पंडित चंदनलाल पाराशर ने बताया कि बड़ों को हाथ जोड़कर प्रणाम करने का वैज्ञानिक महत्व है। उन्होंने बताया कि दाहिना हाथ आचार (धर्म) और बायां हाथ विचार (दर्शन) का होता है

    आगरा। प्रणाम करना एक सम्मान है, एक संस्कार है। प्रणाम करना एक यौगिक प्रक्रिया भी है। बड़ों को हाथ जोड़कर प्रणाम करने का वैज्ञानिक महत्व है।

    संस्कृत मनीषी पंडित चंदनलाल पाराशर ने बताया कि बड़ों को हाथ जोड़कर प्रणाम करने का वैज्ञानिक महत्व है। उन्होंने बताया कि दाहिना हाथ आचार (धर्म) और बायां हाथ विचार (दर्शन) का होता है। जब हम दोनों हाथों को मिलाते हैं तो इससे प्रदर्शित होता है कि हम धर्म और दर्शन दोनों को साथ लेकर चल रहे हैं।

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    बकौल पं. पाराशर अपने से बराबर वाले व्यक्ति को तो नमस्ते कर सकते हैं, लेकिन प्रणाम अपने से बड़ों को किया जाता है। उन्होंने कहा कि अभिभावक बच्चों को प्रणाम और नमस्ते करने के संस्कार की शिक्षा दें।

    अब प्रणाम की जगह हैलो आ गया। हैलो शब्द की खोज थॉमस अल्वा एडीसन ने की थी। जब एलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन की खोज की तो उन्होंने टेलीफोन पर बात करने के लिए ए होय-होय शब्द दिया। इसके बाद एडीसन ने कार्बन माइक्रोफोन का अविष्कार किया। तब उन्होंने बातचीत के लिए हैलो शब्द दिया।

    आज मनाया जाता है -21 नवंबर को हेलो डे मनाया जाता है। हैलो-डे की शुरुआत 1973 में मिस्त्र और इजरायल के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए हुई थी। इस दिन लोग विश्व शांति के लिए अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। इस दिन कोई भी व्यक्ति अनजाने 10 लोगों को हैलो बोलकर इसमें शामिल हो सकता है। इसके पीछे मकसद नए लोगों से बातचीत और उनसे मधुर संबंध बनाने का है। दुनिया क 180 देश इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं।

    एक समय था जब रास्ते में चलते-चलते कोई बड़ा व्यक्ति मिल जाता था तो हाथ अपने आप जुड़ और सिर झुक जाता था और मुंह से निकलता था प्रणाम। मगर प्रणाम और नमस्ते अब बीते जमाने की बात होती जा रही हैं। तकनीक के साथ-साथ बच्चों के संस्कारों में भी बदलाव आ रहा है। अब न हाथ जुड़ते हैं न सिर झुकता है, बस आवाज आती है हैलो। बच्चों पर नमस्ते की जगह हैलो का प्रभाव पड़ रहा है।

    नमस्ते की जगह ले रहा हैलो-

    भारतीय में हम हाथ जोड़कर नमस्ते से अभिवादन करते हैं। मगर, जैसे-जैसे हम पाश्चात्य की ओर जा रहे हैं हम नमस्ते की जगह हैलो से लोगों का अभिवादन कर रहे हैं। हाथ जोड़कर नमस्ते करने से अपनापन और आदर झलकता है।

    हाथ जोड़ने से बढ़ता है ब्लड सरकुलेशन-

    फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. विक्रांत ने बताया कि हाथ जोड़ने से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है। उन्होंने बताया कि हमारे आधे शरीर में सकारात्मक आयन और आधे में नकारात्मक आयन होते हैं। जब हम हाथ जोड़ते हैं तो दोनों आयनों के मिलने से ऊर्जा निकलती है। जो हमारे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। इतना ही नहीं प्रणाम का परिणाम हमेशा आशीर्वाद ही होता है।

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