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    Rudraksha: क्या होता है रुद्राक्ष? कैसे हुआ उत्पन्न? जानें इसका महत्व और धारण करने का नियम

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 04 Jun 2021 07:00 AM (IST)

    Rudraksha रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसका संबंध भगवान शिव से है। हिंदू धर्म के मानने वाले इसकी पूजा भी करते हैं। यह बह ...और पढ़ें

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    Rudraksha: क्या होता है रुद्राक्ष? कैसे हुआ उत्पन्न? जानें इसका महत्व और धारण करने का नियम

    Rudraksha: रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसका संबंध भगवान शिव से है। हिंदू धर्म के मानने वाले इसकी पूजा भी करते हैं। जानकारों की मानें, तो रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यह बहुत ही लाभकारी माना गया है, परंतु इसे धारण करने से पहले आपको इसके विषय में जान लेना चाहिए। रुद्राक्ष कई तरह के होते हैं, सभी का प्रभाव अलग-अलग होता है। आइए जानते हैं रुद्राक्ष के बारे में सबकुछ।

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    रुद्राक्ष की उत्पत्ति

    पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की। इसी वक्त किसी कारणवश जब उन्होंने आंख खोली, तो उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े और इन्हीं आंसुओं से रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई। इसी वजह से यह पवित्र और पूज्यनीय है।

    रुद्राक्ष धारण करने के नियम

    1. रुद्राक्ष को कलाई, कंठ और ह्रदय पर धारण किया जाना चाहिए। इसे कंठ पर धारण करना सर्वोत्तम माना गया है।

    2. कलाई पर 12, कंठ पर 36 और ह्रदय पर 108 दानों को धारण करना चाहिए।

    3. रुद्राक्ष का एक दाना धारण करते वक्त ध्यान रहे वह ह्रदय तक तथा लाल धागे में होना चाहिए।

    4. रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए।

    5. रुद्राक्ष धारण करने वाले को सात्विक रहने के साथ-साथ आचरण को शुद्ध रखना चाहिए।

    6. रुद्राक्ष धारण करने का सबसे उचित समय सावन और शिवरात्रि है। इसके अलावा इसे सोमवार को भी धारण किया जा सकता है।

    विभिन्न रुद्राक्ष और उनके फल

    1. एक मुखी रुद्राक्ष

    यह साक्षात् शिव का स्वरुप माना जाता है। सिंह राशि वालों के लिए अत्यंत शुभ होता है। जिनकी कुंडली में सूर्य से सम्बंधित समस्या है, उन्हें इसे धारण करना चाहिए।

    2. दो मुखी रुद्राक्ष

    यह अर्धनारीश्वर स्वरुप माना जाता है। कर्क राशि वालों के लिए यह रुद्राक्ष उत्तम परिणाम देता है। इसे धारण करने से आत्मविश्वास और मन की शांति प्राप्त होती है।

    3. तीन मुखी रुद्राक्ष

    यह रुद्राक्ष अग्नि और तेज का स्वरुप होता है। मेष और वृश्चिक राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह उत्तम माना जाता है। मंगल दोष के निवारण के लिए इसी रुद्राक्ष को धारण किया जाता है।

    4. चार मुखी रुद्राक्ष

    यह ब्रह्मा का स्वरुप माना जाता है। मिथुन और कन्या राशि के लिए यह सर्वोत्तम रुद्राक्ष है। त्वचा के रोगों, मानसिक क्षमता, एकाग्रता और रचनात्मकता में इसका विशेष लाभ होता।

    5. पांच मुखी रुद्राक्ष : इसको कालाग्नि भी कहा जाता है। इसको करने से मंत्र शक्ति और ज्ञान प्राप्त होता है। इसका संबंध बृहस्पति ग्रह से है।

    6. छः मुखी रुद्राक्ष

    इसको भगवान कार्तिकेय का स्वरुप माना जाता है। इसे ज्ञान और आत्मविश्नास के लिए खास माना जाता है। यह शुक्र ग्रह के लिए लाभकारी होता है।

    7. सात मुखी रुद्राक्ष

    इसको सप्तऋषियों का स्वरुप माना जाता है। इससे आर्थिक संपन्नता प्राप्त होता है। इसका संबंध शनि ग्रह से है।

    8. आठ मुखी रुद्राक्ष

    इसे अष्टदेवियों का स्वरुप माना जाता है। इसे धारण करने से अष्टसिद्धियां प्राप्त होती हैं। इसे राहु संबंधित समस्या से छुटकारा मिलता है।

    9. नौ मुखी रुद्राक्ष

    इसे धारण करने से शक्ति, साहस और निडरता प्राप्त होती है। ये धन-सम्पत्ति, मान-सम्मान, यश बढ़ाने में सहायक साबित होता है।

    10. दस मुखी रुद्राक्ष

    इसे धारण करने से दमा, गठिया, पेट, और नेत्र संबंधी रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा मुख्य रूप से नाकारात्मक शक्तियों से बचाता है।

    11. ग्यारह मुखी रुद्राक्ष

    इसको धारण करन से आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। धार्मिक मान्यता है कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में सहयोगी होता है।

    12 बारह मुखी रुद्राक्ष

    इसको धारण करने से उदर रोग, ह्रदय रोग, मस्तिष्क से संबंधित रोगों में लाभ मिलता है। इसके अलावा सफलता प्राप्ति के लिए भी पहना जाता है।

    13 तेरह मुखी रुद्राक्ष

    इसको वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए पहना जाता है। इसका संबंध शुक्र ग्रह से है।

    14. चौदह मुखी रुद्राक्ष

    इसको धारण करने से छठी इंद्रीय जागृत होने और सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'