Pradakshina: क्या होती है प्रदक्षिणा, क्यों कहा गया है अश्वमेघ यज्ञ के समान
Pradakshina प्रदक्षिणा का अर्थ है भगवान के चारों ओर गोलाकार आकृति में घूमना। ये एक संस्कृत शब्द है तथा इसका उपयोग शास्त्रों में वर्णित है। प्रदक्षिणा करने का अर्थ होता है कि हम अपना सर्वस्व ईश्वर पर न्योछावर करके उनकी शरण में आ गए है।
Pradakshina: प्रदक्षिणा का अर्थ है भगवान के चारों ओर गोलाकार आकृति में घूमना। ये एक संस्कृत शब्द है तथा इसका उपयोग शास्त्रों में वर्णित है। प्रदक्षिणा करने का अर्थ होता है कि हम अपना सर्वस्व ईश्वर पर न्योछावर करके उनकी शरण में आ गए है। ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा यहां बता रही है कि प्रदक्षिणा के ज्योतिष में क्या महत्व है।
कैसे करें प्रदक्षिणा-
किसी भी शुभ दिन प्रदक्षिणा करने का संकल्प करें। जिस भी इच्छा की पूर्ति आप चाहते है अपने इष्ट से वो जाहिर करें। इसके पश्चात अपने पूरे विश्वास से अपने इष्ट की प्रदक्षिणा करें। इसे हमेशा घड़ी की दिशा में ही किया जाता है जिसे क्लॉकवाइस कहते हैं। हमेशा दाहिने पैर से प्रदक्षिणा शुरू करें। फिर बायां पैर उसके पास लाये। इसी तरह छोटे कदमों से चलते हुए प्रदक्षिणा करें। इस दौरान शांत रहे और मन मे इस श्लोक का उच्चारण करते रहे।
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।
तानि सर्वाणि नश्यन्ति प्रदक्षिणपदे पदे ॥
पदे पदे या परिपूजकेभ्यः सद्योऽश्वमेधादिफल ददाति ।
तां सर्वपापक्षयहेतुभूतां प्रदक्षिणां ते परितः करोमि ॥
लाभ-
1. पिछले जन्मों के पापों का शमन प्रदक्षिणा से होता है।
2. प्रदक्षिणा अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्यकारी है।
3. शनिदेव का संबंध हमारे पैरों से होता है। ऐसे में प्रदक्षिणा करने से शनिदेव प्रसन्न होते है । कुंडली मे शनिदेव से जनित कोई भी दोष हो उसका निवारण प्रदक्षिणा से हो जाता है।
4. यह एक तरह का तप है। जिससे इश्वर के प्रति समर्पण मन में आता है और ईश्वरीय कृपा की प्राप्ति होती है।
डिसक्लेमर
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