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    Importance of Water: भारतीय संस्कृति में क्या है जल का महत्व? जानें किस दिन मिलता है जलदान का सबसे अधिक फल

    By Harshita SaxenaEdited By: Harshita Saxena
    Updated: Sun, 07 May 2023 06:33 PM (IST)

    जल के बिना जीवन संभव ही नहीं है। जल का महत्व इस बात से भी समझा जा सकता है कि दुनिया की बड़ी-बड़ी सभ्यताएं नदियों के किनारे ही विकसित हुई हैं। भारतीय संस्कृति में शुरू से ही जल का महत्व रहा है।

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    जानें क्या है जल का धार्मिक महत्व

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Importance of Water: जल का हमारे जीवन में कितना महत्व है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से जल का महत्व बना हुआ है। जल का महत्व इससे और स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय समाज ने नदियों को मां का दर्जा दिया गया है। गंगा मैया, यमुना मैया, नर्मदा मैया, कावेरी मैया के नाम से नदियों को पुकारा जाता रहा है। हमारे तीर्थ, तपस्या स्थल, उत्सव, मेले, शिक्षा एवं स्वास्थ्य केंद्र, सभी का निर्माण- विकास जल के आसपास ही हुआ है।

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    इस दिन प्याऊ खुलवाने से मिलता है महायज्ञ का फल

    जल का भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रहा है। प्रकृति, सृष्टि की रचना सृजनशीलता पंचतत्वों से हुई है। जल की इसमें सबसे अहम भूमिका है। मानव भी पंचतत्वों से ही मिलकर बना है। सृष्टि की तरह मानव में भी दो-तिहाई भाग जल का है। वैशाख मास में आने वाली एकादशी को प्याऊ खुलवाने से करोड़ों महायज्ञ का फल मिलता है

    जल का दान को सर्वोपरि

    भारतीय विश्वासों के अनुसार जल हाथ में लेकर झूठ नहीं बोला जा सकता। जल के दान को सर्वोपरि माना गया है। भारतीय परंपरा में कोई भी ऐसा धार्मिक कार्य नहीं है, जिसमें जल कलश स्थापित न किया जाता हो। भारतीय संस्कृति में पितरों को जल अर्पण करने की परंपरा है। तुलसी, पीपल और सूर्य को जल चढ़ाने की भी परम्परा है।

    इस वर्त से पता चलती है जल की महत्ता

    निर्जला एकादशी व्रत में जल कलश का विधिवत पूजन किया जाता है। निर्जला व्रत में व्रती जल के बिना समय बिताता है। जल ग्रहण न करने का संकल्प लेने और समयावधि के पश्चात जल ग्रहण करने से जल की उपयोगिता पता चलती है। व्रत करने वाला जल की महत्ता समझने लगता है।

    शिव पूजा में जल का विशेष महत्व

    भगवान शिव की मूर्ति व शिवलिंग पर जल चढ़ाने का महत्व भी समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है। अग्नि के समान विष पीने के बाद शिव का कंठ नीला पड़ गया था। भगवान शिव की विष की ऊष्णता को शांत करने के लिए समस्त देवी-देवताओं ने उन्हें जल-अर्पण किया। इसलिए शिव पूजा में जल का विशेष महत्व माना है।

    Writer- Suman Saini

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

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