Bhakoot Dosh: जानें, क्या होता है भकूट दोष और क्यों विवाह पूर्व कुंडली मिलान है जरूरी ?
Bhakoot Dosh ज्योतिषयों की मानें तो कुंडली मिलान में समान नाड़ी मिलने पर शादी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से शादी के उपरांत वैवाहिक जीवन में परेशानी आती है। ऐसी परिस्थिति में सुयोग्य एवं प्रकांड पंडित से सलाह लेकर ही परिणय सूत्र में बंधना चाहिए। वर और वधू के एक दूसरे को पसंद करने के संदर्भ में नाड़ी दोष का निवारण अनिवार्य है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Bhakoot Dosh: सनातन धर्म में विवाह पूर्व कुंडली मिलान का विधान है। कुंडली मिलान करने से वर और वधू के वैवाहिक जीवन की पूरी जानकारी प्राप्त हो जाती है। इससे गण, मैत्री, भाग्य, प्रकृति, स्वभाव, नाड़ी और भकूट दोष का पता चलता है। ज्योतिषयों की मानें तो कुंडली मिलान में समान नाड़ी मिलने पर शादी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से शादी के उपरांत वैवाहिक जीवन में परेशानी आती है। ऐसी परिस्थिति में सुयोग्य एवं प्रकांड पंडित से सलाह लेकर ही परिणय सूत्र में बंधना चाहिए। वर और वधू के एक दूसरे को पसंद करने के संदर्भ में नाड़ी दोष का निवारण अनिवार्य है। वहीं, भकूट दोष लगने पर शादी के पश्चात वर और वधू को आर्थिक, मानसिक, शारीरिक और वित्तीय परेशानी होती है। आइए, भकूट दोष के बारे में सबकुछ जानते हैं-
क्या होता है भकूट दोष?
ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली मिलान के दौरान वर-वधू की कुंडली में चन्द्रमा 6-8, 9-5 या 12-2 भाव में स्थित होने से भकूट दोष लगता है। आसान शब्दों में कहें तो अगर वर की राशि मेष है और वधू की राशि कन्या है, तो 6-8 का भकूट दोष लगता है। भकूट दोष मुख्यतः तीन प्रकार से लगते हैं। भकूट का कुल प्राप्तांक 7 है।
- अगर कुंडली मिलान में 6-8 का भकूट दोष लगता है, तो विवाह उपरांत शारीरिक कष्ट की समस्या होती है।
- अगर कुंडली मिलान में 9-5 का भकूट दोष लगता है, तो संतान प्राप्ति में देर होती है। साथ ही रिश्ते में दूरियां बढ़ने लगती हैं।
- वर और वधू के कुंडली मिलान में 12-2 का भकूट दोष लगने पर वित्तीय समस्या होती है। आसान शब्दों में कहें तो कारोबार में नुकसान होता है। साथ ही वियोग का भी खतरा रहता है। हालांकि, कई परिस्थिति में भकूट दोष का परिहार भी हो जाता है। अतः प्रकांड पंडित से भकूट दोष का विचार करवाएं।
भकूट दोष के उपाय
भकूट दोष का परिहार पूर्ण रूप से नहीं होता है। सामान्य उपाय के जरिए इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। अगर दोष लगता है, तो विवाह पूर्व भकूट दोष निवारण अनिवार्य है। इसके लिए स्थानीय पंडित से संपर्क कर सकते हैं। भकूट दोष के निवारण में महामृत्युंजय का जाप कराया जाता है। विवाह उपरांत वधू गुरुवार का व्रत अवश्य करें। इस दिन प्रातः काल स्नान-ध्यान के पश्चात जल में हल्दी मिलाकर केले के पौधे में अर्घ्य दें। रोजाना सुबह और शाम हनुमान चालीसा का पाठ करें। इन उपायों को करने से भकूट दोष का प्रभाव कम होता है।
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