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    Shani Dev Katha: आखिर क्यों शनि की व्रकी दृष्टि से बच न सके भगवान गणेश, जानिए पौराणिक कथा

    Updated: Mon, 12 May 2025 01:05 PM (IST)

    हिंदू मान्यताओं के अनुसार शनि देव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार दंड या फिर पुण्य फल देने वाले हैं। यही कारण है के शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है। भगवान गणेश को हाथी का सिर मिलने की कथा से तो लगभग सभी अवगत होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कथा का संबंध शनि देव से भी माना गया है।

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    पढ़िए शनिदेव और भगवान गणेश की कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कर्म और न्याय का शासक शनिदेव (Shani Dev) को लेकर यह कहा जाता है कि उनकी दृष्टि जिस पर भी पड़ती है, उनका अहित होता है। ऐसे में आज हम आपको शनिदेव और भगवान गणेश से संबंधित एक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके अनुसार, न चाहते हुए भी शनिदेव की दृष्टि बालक गणेश पर पड़ गई। जिसके कारण गणेश जी को ऐसा परिणाम झेलना पड़ा। चलिए जानते हैं इस कथा के बारे में।

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    शनिदेव को मिला था ये श्राप

    ब्रह्म पुराण की कथा के अनुसार, एक बार शनिदेव भक्ति में लीन थे, तभी संतान प्राप्ति की इच्छा लिए उनकी पत्नी चित्ररथ वहां आईं। लेकिन शनिदेव भक्ति में इतने लीन थे कि उन्होंने अपनी पत्नी की बात पर ध्यान ही नहीं दिया। इससे क्रोधित होकर शनिदेव की पत्नी ने उन्हें यह श्राप दिया कि वह जिस पर भी अपनी दृष्टि डालेंगे उसका अनिष्ट होगा। यही कारण है कि शनिदेव की दृष्टि को वक्र दृष्टि कहा जाता है।

    माता पार्वती ने समझा अपमान

    ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, गणेश जी के जन्म के बाद सभी देवी-देवता उन्हें आशीर्वाद देने पहुचें। इस दौरान शनि देव भी वहां मौजूद थे, लेकिन शनि देव ने न तो गणेश जी को देखा और न ही उनके पास गए। यह देखकर माता पार्वती को अपने पुत्र का अपमान महसूस हुआ और उन्होंने शनि देव से इसकी वजह पूछी। तब शनिदेव ने अपनी पत्नी द्वारा मिले श्राप के बारे में पार्वती जी को बताया।

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    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    अचेत हो गईं माता पार्वती

    इसपर माता पार्वती कहती हैं कि सभी देवी-देवताओं ने मेरे पुत्र को आशीर्वाद दिया है, ऐसे में अगर आप भी उसे अपना आशीर्वाद देंगे, तो इससे उसका कोई अहित नहीं होगा। लेकिन जैसे ही शनिदेव ने अपनी दृष्टि बालक गणेश पर डाली, उनका सिर धड़ से अगल हो गया और आकाश में उड़ गया।

    यह देखकर माता पार्वती अचेत हो गईं। तब इस समस्या का समाधान करते हुए भगवान विष्णु जी ने एक गज यानी हाथी का मुख श्रीगणेश के सिर पर लगा दिया था।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।