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    Vrat Udyapan vidhi: उद्यापन के बिना नहीं मिलता व्रत का पूर्ण फल, जानिए विधि

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Fri, 11 Aug 2023 05:56 PM (IST)

    Vrat Udyapan व्रत का समय पूरा होने के बाद जो अंतिम पूजा या अंतिम व्रत होता है उसे उद्यापन कहा जाता है। किसी भी व्रत के बाद उद्यापन का विशेष महत्व होता है। व्रत के बाद उद्यापन आवश्यक रूप से किया जाता है। शास्त्रों में इसकी विधि भी बताई गई है। आइए जानते हैं व्रत का उद्यापन करने का महत्व और विधि।

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    Vrat Udyapan vidhi व्रत के बाद क्यों जरूरी है उद्यापन करना

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Vrat Udyapan vidhi: किसी भी व्रत को करने के बाद उसका उद्यापन करना जरूरी माना गया है। उद्यापन किए बिना व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। इसलिए आपने चाहे कोई भी व्रत किया गया हो, लेकिन उसका उद्यापन जरूर करें। आइए जानते हैं कि किसी व्रत का उद्यापन कैसे किया जाता है।

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    क्या है उद्यापन का महत्व (Udyapan Importance)

    शास्त्रों में बताया गया है कि आप चाहे एकादशी, पूर्णिमा, सोमवार या मंगलवार आदि कोई भी व्रत करें, उसका उद्यापन जरूर करना चाहिए। बिना उद्यापन के व्रत का फल नहीं मिलता। यदि व्रत के दौरान पूजा-पाठ में कोई गलती हुई हो या फिर किसी कारण कोई व्रत छूट गया हो, तो ऐसे में इन व्रतों की पूरा करने के लिए उद्यापन किया जाता है। इसलिए व्रत के बाद उद्यापन करना अनिवार्य माना गया है।

    कैसे करें व्रत का उद्यापन (Vrat Udyapan vidhi)

    जिस दिन सोमवार के व्रत का उद्यापन करना हो उस दिन प्रात काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। किसी योग्य ब्राह्मण या किसी पुरोहित के द्वारा उद्यापन करा सकते हैं। आपने जितने व्रतों का संकल्प लिया हो उसके पूरा होने के बाद उद्यापन करना चाहिए। उदाहरण के लिए आपने 11 व्रत करने का संकल्प लिया है तो व्रत की 12 तिथि पर उद्यापन किया जाता है। इस दिन पूरे परिवार के साथ हवन करें। पूर्णाहुति में पूरे परिवार व सगे-संबंधियों को शामिल कर अंत में आरती करें। अगर आपने सोमवार का व्रत किया है तो भगवान शिव की आराधना करें। वहीं, अगर बृहस्पतिवार का व्रत करते हैं तो भगवान विष्णु की पूजन किया जाता है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    विधिपूर्वक किसी कार्य या व्रत की समाप्ति के बाद किया जाने वाला धार्मिक कार्य जैसे हवन, पूजन और भोजन आदि को उद्यापन कहा जाता है।

    उद्यापन किए बिना किसी भी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। साथ ही व्रत के दौरान की गई गलतियों से भी उद्यापन द्वारा मुक्ति पाई जा सकती है।