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    Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी के दिन क्यों नहीं होती शादी, यहां जानें कारण

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 02:00 PM (IST)

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग में मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। लेकिन यह भी मान्यता चली आ रही है कि इस दिन पर विवाह करना शुभ नहीं माना जाता। चलिए जानते हैं इसका कारण।

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    Vivah Panchami 2025 इन कामों से मिलता है शुभ फल।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इस बार विवाह पंचमी का पर्व 25 नवंबर को मनाया जाएगा। यह पर्व अगहन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी (Vivah Panchami 2025 Date)  तिथि को मनाया जाता है। साथ ही यह दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा-अर्चना के लिए बेहद शुभ माना गया है, लेकिन लोग इस दिन पर विवाह अनुष्ठान करने से बचते हैं, जिसके पीछे एक बड़ी ही खास वजह मिलती है।

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    इस कारण नहीं किए जाते विवाह

    हिंदू धर्म में प्रभु राम और माता जानकी की जोड़ी को एक आदर्श जोड़ी के रूप में देखा जाता है, लेकिन इसके बाद भी इस तिथि को विवाह करने के लिए एक शुभ तिथि के रूप में नहीं देखा जाता। इसके पीछे यह धार्मिक मान्यता चली आ रही है कि प्रभु राम और माता सीता को अपने वैवाहिक जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा था। 14 वर्ष का वनवास, रावण और भगवान राम का युद्ध और वनवास की समाप्ति के बाद भी माता सीता का वन में रहना, इसी के कुछ उदाहरण हैं। इसलिए यह माना जाता है कि जो भी इस तिथि पर विवाह करता है, उसके जीवन में भी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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    (Picture Credit: Freepik) 

    मिलता है मनोवांछित फल

    विवाह पंचमी का पर्व अयोध्या में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इसके साथ ही नेपाल में भी इस पर्व का उत्साह देखने को मिलता है। इस दिन पर भगवान राम और माता सीता के विवाह की भव्य झांकियां भी निकाली जाती हैं। कई साधक इस दिन पर व्रत भी करते हैं। धार्मिक ग्रन्थों में यह वर्णन मिलता है कि विवाह पंचमी के दिन व्रत करने से साधक को सुखी वैवाहिक जीवन और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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    मिलता है शुभ फल

    विवाह पंचमी के दिन आप विधि-विधान से भगवान श्री राम और माता जानकी की पूजा करें। इसके साथ ही तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरितमानस की सिद्ध चौपाइयों का जप करें और भगवान श्रीराम व माता सीता के मंत्रों का जप करें। इससे साधक को मनचाहे फल की प्राप्ति हो सकती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।